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________________ 157 योगविन्दु की विषय वस्तु हैं। माता मरकर कभी बेटो तो कभी पत्नी, भाभी, पुत्र तो कभी पिता और कभी भाई मरकर भी अपना शत्रु बन जाता है । __ यह संसार ही भयरूप है, दु:खों से घिरा हुआ है। जैसे ज्वर आने पर मानव बेचैन रहता हैं, ऐसे ही संसार में प्रत्येक प्राणी बेचैन रहता है। यहां पर विविध दुःख हैं । जन्म, जरा, रोग, मरण संयोग और वियोग आदि के दुःखों से संसार ओत-प्रोत है। जिधर देखो उधर दुःख ही दुःख है। बद्ध ने भी कहा है कि यह संसार दुःखान्धकार से ढका हुआ है, प्रतिपल जलते हुए इस जगत में क्या तो हंसी है और क्या तो आनन्द ? सभी कुछ नष्ट हो जाने वाला है। शरीर और मन की अनन्त वेदनाएं यहां पग-पग खड़ी है।। भवगतीसूत्र में कहा गया है कि यह संसार तो जन्म, जरा और मृत्यु की आग में धधक रहा है। हलवाई की भट्टी की भांति यहां दुःखों को ज्वाला प्रज्वलित है । प्रतिदिन अनेकों प्राणी मृत्यु के मुख में, यमराज के घर १. श्रोत्रिय:श्वपचः स्वामी पतिब्रह्माकृमिश्च सः । संसारे नाट्ये नटवत् संसात् संसारी हन्त चेष्टते ।। यो शा० ४.६५ तथा मि. सुमतिरमतिः श्रीमानश्री:सुखीस खजितःसुतनुरतनुस्वामी-अस्वामीप्रियः स्कटमप्रियः नपतिरनपःस्वर्गीतिर्यङनरोऽपि च नारकस्तदिति, बहुधा नत्यत्यस्मिन् भवो भवनाटके । प्रवचनसारो० भाग-१, पृ० ४५७ २. माता भूत्वा दुहिता, भगिनी भार्या च भवति संसारे । ब्रजति सुतःपितृतां, भ्रातृतां पुनः शत्रुतां चैव ॥ प्रशमरति, श्लोक १५६ तथा मिला० अयणं भन्ते । जीवं, सव्वजीवाणं, माइत्ताए, पित्तिताए माइत्ताए, भगिणित्ताए, भज्जत्ताए, पुत्तत्ताए, धूयत्ताए, सण्हत्तार उवबण्णपुवे ? हंतागोयमा । जाव अणंतक्ख त्तो ॥ भगवतीसूत्र १२.७ ३. पास लोए महन्मयं । आचारांगसूत्र ६.१ ४. एगतं दुक्खं जरिए व लोयं । वही, ५. जम्म दुक्खं जरा दुक्खं रोगा य मरणाणि य । अहो दुक्खो हु संसारो जत्थ कीसंति जन्तुणो ॥ उत्तरा० १६,१६ ६. दे० धम्मपद. गा १४६ ७. सारीरमाणसा चेव वेयणाउ अणं तसो ॥ उत्तरा० १६.४६ ८. आलित्त पलितेणं लोए भन्ते । जराए मरणेण य । भगवतीसू० २.१ ____Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002573
Book TitleYogabindu ke Pariprekshya me Yog Sadhna ka Samikshatmak Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSuvratmuni Shastri
PublisherAatm Gyanpith
Publication Year1991
Total Pages348
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Yoga
File Size14 MB
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