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१४. निर्मलता : निर्मल जल वाली शीता नदी की भांति निर्मल ज्ञान से
युक्त १५. अचल और : मन्दर पर्वत की तरह अचल तथा ज्ञान के प्रकाश से
दीप्तिमान दीप्त १६. अक्षय ज्ञान : नाना रत्नों से परिपूर्ण स्वयम्भूरमण समुद्र की तरह
अक्षय ज्ञान तथा अतिशयों से सम्पन्न । ये सभी प्रतीक बहुश्रुत की आंतरिक शक्ति तथा तेजस्विता को प्रकट करते हैं। उत्तर. ११/१५-३० विहारं (विहारं)
विहार शब्द के अनेक अर्थ हैं - मनोरंजन, खेल, आमोद-प्रमोद, घूमना आदि। प्रस्तुत प्रसंग में विहार का प्रयोग एक अन्य अर्थ जीवन की समग्रता, मनुष्य जीवन के लिए किया गया है -
असासयं दठु इमं विहारं बहुअंतरायं न य दीहमाउं । तम्हा गिहंसि न रइं लहामो आमंतयामो चरिस्सामु मोणं॥
उत्तर. १४/७ हमने देखा है कि यह मनुष्य जीवन अनित्य है, उसमें भी विघ्न बहुत हैं और आयु थोड़ी है। इसलिए घर में हमें कोई आनन्द नहीं है। हम मुनिचर्या को स्वीकार करने के लिए आपकी अनुमति चाहते हैं। तमं तमेणं (तमस्तमसि)
साहित्य जगत में अंधकार निराशा, अवसाद या विपत्ति के रूप में प्रचलित है। उत्तराध्ययन में इस प्रचलित अर्थ से दूर न होते हुए भी, उसमें एक अन्य सूक्ष्म अर्थ को समाविष्ट कर विशिष्ट अर्थव्यंजना की हैवेया अहीया न भवंति ताणं भुत्ता दिया निति तमं तमेणं।
उत्तर. १४/१२ वेद पढ़ने पर भी वे त्राण नहीं होते। ब्राह्मणों को भोजन कराने पर वे अन्धकारमय नरक में ले जाते हैं।
यहां 'तम' का अर्थ नरक और 'तमेणं' का अर्थ अज्ञान से किया है।
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उत्तराध्ययन का शैली-वैज्ञानिक अध्ययन
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