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प्रतीक वर्गीकरण
प्रतीकों की प्रकृति, अर्थवत्ता और व्यंजना-शक्ति देश-काल-व्यक्ति के अनुसार परिवर्तनीय है। इसीलिए विद्वानों, समीक्षकों ने प्रतीकों का वर्गीकरण विभिन्न रूपों में किया है।
उत्तराध्ययन में प्रयुक्त प्रतीकों के अनेक विभाग किए जा सकते हैं१. स्रोत के आधार पर
मनुष्य जगत के प्रतीक-सूरे दढ परक्कमे, वासुदेवे, चक्कवट्टी महिड्ढिए, सक्के, सारही, इंदियचोरवस्से
तिर्यञ्च जगत के प्रतीक - मिए, भारुडपक्खी , कंथए आसे, कुंजरे, वसहे, सीहे, कावोया वित्ती, दुट्ठस्सो, सप्पे।
स्थान प्रतीक - लाढे
प्राकृतिक प्रतीक -जगई, घयसित्त व्व पावए, चेइए वच्छे, कुमुदं, दिवायरे, उडुवई चंदे, जंबू दुमे, सीया नई, मंदरे गिरी, सयंभूरमणे उदही, तमं तमेणं, किंपागफलाणं, विज्जुसोया-मणिप्पभा, भाणू।
खाद्य पदार्थ के प्रतीक - संखम्मि पयं २. · शुभाशुभ के अभिव्यंजक
शुभ : जगई, दोगुंछी, लाढे, घयसित्त व्व पावए, भारुडपक्खी ,पत्तं, चेइए वच्छे, कुमुदं, कंथए आसे, सूरे दढपरक्कमे, कुंजरे, वसहे, सीहे, वासुदेवे, चक्कवट्टी महिड्ढिए, सक्के, दिवायरे, उडुवई चंदे, कोट्ठागारे, जंबू दुमे, सीया नई, मंदरे गिरी, सयंभूरमणे उदही, विहारं, सिरं, कावोया वित्ती, विज्जुसोयामणिप्पभा, भाणू, सारही, अंतकिरियं
अशुभ : मिए, तमं तमेणं, साहाहि रुक्खो, किंपागफलाणं, दुट्ठस्सो, सप्पे, इंदियचोरवस्से ३. मूर्तत्व अमूर्त्तत्व के आधार पर
अमूर्त के लिए मूर्त प्रतीक : मिए, धयसित्त व्व पावए, भारुडपक्खी , कुमुदं, सिरं, किंपागफलाणं, दुट्ठस्सो, सप्पे
अमूर्त के लिए अमूर्त प्रतीक : अंतकिरियं
उत्तराध्ययन में प्रतीक. बिम्ब. सक्ति एवं मुहावरे
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