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पशुओं को चावल, मूंग, उड़द आदि दिए जाते थे। (७/१) प्रमुख सिक्का काकिणी (७/११) अस्त्र-शस्त्र,सुरक्षा के साधन-प्राकार, गोपुर, अट्टालिकादि। (९/१८) चोरों के प्रकार-आमोण, लोमहार, ग्रन्थिभेदक आदि । (९/२८) यज्ञ आदि अनुष्ठानों का विवेचन (अध्ययन १२, २५) उच्चोदय, मधु, कर्क, मध्य, ब्रह्म-प्रासादों का उल्लेख (१३/१३) पुनर्विवाह की प्रथा (१३/२५, १८/१६) बिना मालिक के धन पर राजा का अधिकार (१४/३७) चिकित्सा पद्धति में आयुर्वेद-वमन,विरेचन आदि का प्रचलन(१५/८) आखेट कर्म (१८/१) युद्ध में चतुरंगिणी सेना का नियोजन (१८/२) विद्या, मंत्रों जड़ी-बूटियों से भी चिकित्सा की जाती थी। (२०/२२) चतुष्पाद चिकित्सा-वैद्य,रोगी, औषधि, प्रतिचर्या करने वाले(२०/२३) प्रसाधन में गंध, माल्य, विलेपन आदि का प्रयोग। (२०/२९)
प्रायः स्त्रियां पति के भोजन, स्नान आदि कर लेने पर ही भोजन आदि करती थी। (२०/२९)
नौका व्यापार, अन्तर्देशीय व्यापार (२१/२) बहत्तर कलाएं (२१/६) दंड (२१/८)
राजलक्षणों की चर्चा (सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार चक्र, स्वस्तिक, अंकुश आदि) (२२/१)
शिल्प कार्य-खेती में काम आने वाले हल, कुदाली, फरसा आदि बनाकर बेचना। (३६/७५)
___इस प्रकार सभ्यता, संस्कृति के संदर्भ में पर्याप्त सामग्री उत्तराध्ययन में हैं।
वर्तमान में प्रचलित अर्थ से भिन्न प्रयोगों का भी व्यवहार हुआ है -
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उत्तराध्ययन का शैली-वैज्ञानिक अध्ययन
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