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आगम (Augment)
उच्चारण की सुविधा के लिए शब्दों के आदि, मध्य या अन्त में कुछ ध्वनियों का सन्निवेश किया जाता है, उन्हें आगम कहते हैं। 'मित्रवदागमः" आगम मित्रवत् होता है। इसके तीन भेद हैं१. आदि स्वरागम
शब्द के आदि में होने वाले स्वर के आगम को आदि स्वरागम कहा जाता है।
___ स्त्री > इत्थी (७/६) २. मध्य स्वरागम (स्वरभक्ति) (Anaptyxis)
संयुक्त व्यंजन में एक व्यंजन य, र, ल, व और ह हो या अनुनासिक हो उन्हें अ, इ, ई और उ में से किसी एक स्वर का आगम कर उस संयुक्त व्यंजन को सरल बना दिया जाता है, इसे स्वरभक्ति, विप्रकर्ष, विश्लेष या स्वरविक्षेप कहते हैं। उदाहरणगर्हाम् > गरहं
(१/४२) छद्म > छउमं
(२/४३) कृत्स्नम् > कसिणं
(८/१६) इाम् > इरियं
(९/२१) राजर्षिम् > रायरिसिं
(९/३१) भार्या > भारिया
(२०/२८) मर्षय > मरिसेहि
(२०/५७) आर्य > आरिय
(३२/१५) ३. अन्त्य-स्वरागम
इसमें सुविधा के लिए अंत में स्वर का आगम कर दिया जाता है। यथा
अर्हन् > अरहा (६/१७) उदाहृतवान् >
(६/१७) आपद् > आवई
(७/१७) बहिः
बहिया (२५/३)
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उदाहु
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उत्तराध्ययन का शैली-वैज्ञानिक अध्ययन
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