SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 123
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ क्रोध आदि को जीतना है, आत्मा से बाहर हटाना है तो वह नपुंसकलिंग के प्रयोग से ही संभव है। दमन निर्वीर्य का ही हो सकता है वीर्यवान का नहीं। अर्धमागधी प्राकृत में लिंग व्यत्यय का एक कारण 'आर्षम्' सूत्र भी है। जहा य किंपागकला मणोरमा रसेण वण्णेण य भुज्नमाणा । ते खुड्डुए जीविय पच्चमाणा एओवमा कामगुणा विवागे || उत्तर. ३२/२० जैसे किंपाक फल खाने के समय रस और वर्ण से मनोरम होते हैं और परिपाक के समय जीवन का अन्त कर देते हैं, कामगुण विपाक काल में ऐसे ही होते हैं। यहां कामगुण रूप उपमेय जो पुल्लिंग है, उनके लिए किंपाक - फल उपमान बनाया गया तथा मणोरमा, भुज्जमाणा, पच्चमाणा आदि में नपुंसक के स्थान पर पुल्लिंग के प्रयोग द्वारा लिंग - वैचित्र्य वक्रता का उदाहरण बना है। लिंग-परिवर्तन की अपेक्षा क्यों हुई? इस सन्दर्भ में कहा जा सकता है - प्रथम कारण समानाधिकरण ( उपमान और उपमेय में ) है। कामगुणों की भयंकरता को अभिव्यक्त करने के लिए भी लिंगव्यत्यय हुआ है। यदि किंपागफला की जगह किंपागफलानि कहते तो उतनी भयंकरता, दुर्धर्षता नहीं आती जितनी 'किंपागफला' से प्रकट हुई है। क्योंकि कोई निर्वीर्य / नपुंसक अनेक लोगों का संहार करें, यह बात बुद्धिगम्य नहीं । कारण, उसमें उतना सामर्थ्य ही नहीं। अतः दुर्धर्षता की अभिव्यक्ति पुल्लिंग से ही संभव है, इसलिए भी लिंग- व्यत्यय हुआ है। क्रिया- वैचित्र्य वक्रता 106 क्रिया सम्बन्धी विचित्रता क्रिया- वैचित्र्य वक्रता कहलाती है। कर्त्तृरत्यन्तरयत्वं कर्त्रन्तरविचित्रता । स्वविशेषणवैचित्र्यमुपचारमनोज्ञता ।। कर्मादिसंवृतिः पञ्च प्रस्तुतौचित्यचारवः । क्रियावैचित्र्यवक्रत्वप्रकारास्त इमे स्मृताः ॥ ५५ क्रिया - वैचित्र्यवक्रता के अनेक रूप हैं Jain Education International 2010_03 उत्तराध्ययन का शैली वैज्ञानिक अध्ययन For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002572
Book TitleAgam 43 Mool 04 Uttaradhyayana Sutra ka Shailivaigyanik Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmitpragyashreeji
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2005
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_related_other_literature
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy