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________________ पाठ 37 1. निम्नलिखित वाक्यों की प्राकृत में रचना कीजिए (क) (1) सुख बढ़ता है। (2) दूध टपकता है। (3) नागरिक प्रयत्न करते हैं । (4) गठरी लुढ़कती है। (5) यौवन खिलता है। (6) राज्य भूल करता है । (7) आकाश गूंजता है । (8) सदाचार प्रकट होता है । (9) घास जलता है । (ख) (1) वैराग्य बढ़े । (2) राज्य प्रयत्न करे । (3) ज्ञान सिद्ध हो । (4) शासन डरे । (5) सदाचार शोभे । (6) धन बढ़े । (7) पोटली लुढ़के । (8) सत्य खिले । (9) पानी टपके । (ग) (1) नागरिक सोयेंगे। (2) रूप खिलेगा । (3) शासन प्रयत्न करेगा। (4) बीज उगेंगे । (5) लकड़ी जलेगी। (6) राज्य उत्साहित होगा। (7) कर्म नष्ट होंगे। (8) दुःख फैलेगा । (9) विमान उड़ेंगे । (10) सत्य शोभेगा। (घ) (1) सिर दुःखा । (2) नागरिक ठहरा। (3) धागा टूटा । (4) काठ नष्ट हुप्रा । (5) भय नष्ट हुा । (6)सुख प्रकट हुआ ।(7) ज्ञान सिद्ध हुप्रा । (8) विमान उड़ा । (9) वस्त्र जला । 2. निम्नलिखित वाक्यों को दो प्रकार से शुद्ध कीजिए (i) कर्ता के अनुसार क्रिया लगाइये(ii) क्रिया के अनुसार कर्ता लगाइए---- (1) सिरं दुखन्ति । (2) लक्कुड जलन्ते । (3) विमारणाई उड्डुदि । (4) उदगं चुइहिन्ति । (5) शायराणि पलाइ । (6) जीवणं तपन्तु । (7) मणाइँ उच्छहदु । (8) धन्नं उप्पज्जिस्सिन्ति । (9) सच्चं छुट्टिरे । (10) वेरग्गाणि सोहइ । 76 ] [ प्राकृत रचना सौरभ ___Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002571
Book TitlePrakrit Rachna Saurabh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year1994
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size6 MB
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