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________________ पाठ 33 1. निम्नलिखित वाक्यों की प्राकृत में रचना कीजिए (क) (1) मेघ गरजते हैं । (2) वस्त्र सूखता है । (3) रत्न शोभता है । (4) अपयश फैलता है । (5) अग्नि जलती है। (6) पिता उठता है। (7) पुस्तक नष्ट होती है। (8) मित्र प्रयास करता है । (9) रघुनन्दन प्रसन्न होता है । (10) कुत्ता भौंकता है। (11) पुत्र काँपता है। (12) घर गिरता है । (13) मनुष्य बूढ़े होते हैं । (14) गर्व गलता है। (15) दादा थकता है। (16) व्रत शोभते हैं । (17) ऊँट नाचते हैं । (18) सूर्य उगता है । (19) राक्षस डरते हैं । (20) सिंह बैठते हैं । (21) हाथ दुखता है । (22) कौमा उड़ता है । (ख) (1) मामा उठे/उठा। (2) पोता उछले/उछला। (3) गर्व नष्ट हो । (4) बालक खेलें । (5) राक्षस मरें/मरे । (6) दुक्ख गलें। (7) शास्त्र शोभे । (8) मित्र खुश हो/खुश हुआ। (9) समुद्र फैले/फैला। (10) पुत्र जीवे । (11) पिता नहाया। (ग) (1) अग्नि जलेगी। (2) शास्त्र नष्ट होंगे । (3) सर्प उड़ेंगे। (4) रघुनन्दन प्रसन्न होंगे । (5) संसार नष्ट होगा। (6) राक्षस मूछित होंगे । (7) बालक रूसेगा । (8) मनुष्य प्रयास करेंगे। (9) मकान गिरेंगे । (10) कुप्रा सूखेगा। 2. निम्नलिखित वर्तमानकालिक वाक्यों को दो प्रकार से शुद्ध कीजिए - (i) कर्ता के अनुसार क्रिया का शुद्ध रूप लगाइये - (i) क्रिया के अनुसार कर्ता का शुद्ध रूप लगाइये(1) कुक्करो बुक्कन्ति । (2) गंथो नस्सन्ते । (3) णरो कंदन्ति । (4) दुक्खो तुट्टन्ति । (5) करहो थक्कन्ति । (6) माउलो थक्किरे । 3. निम्नलिखित विधि एवं आज्ञावाचक वाक्यों को दो प्रकार से शुद्ध कीजिए (i) कर्ता के अनुसार क्रिया का शुद्ध रूप लगाइए(ii) क्रिया के अनुसार कर्ता का शुद्ध रूप लगाइए(1) ससुरो उद्वन्तु । (2) दिप्ररो गच्चन्तु । (3) परमेसरो हरिसेन्तु । (4) हणुवन्तो चिट्ठन्तु । (5) सीहो पलान्तु । (6) कयंतो होन्तु । 4. निम्नलिखित रिक्त स्थानों की निर्देशानुसार पूर्ति कीजिए (कर्ता के अनुसार क्रिया लगाइए) प्राकृत रचना सौरभ [ 67 Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002571
Book TitlePrakrit Rachna Saurabh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year1994
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size6 MB
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