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________________ (iii) 'स्सि' प्रत्यय क्रिया में जोड़ने पर क्रिया के अन्त्य 'अ' का 'इ' ही होता है । (iv) 'हिस्सा' और 'हित्था' स्वतन्त्र रूप से जोड़े जाते हैं-हसिहिस्सा और हसिहित्था। 3. उपर्युक्त सभी क्रियाएं अकर्मक हैं । 4. उपर्युक्त सभी वाक्य कर्तृवाच्य में हैं । 5. सोच्छ, रोच्छ, वोच्छ आदि क्रियाओं में भविष्यत्काल के 'हि' प्रत्यय का लोप करके केवल वर्तमानकाल के प्रत्यय जोड़ दिये जाते हैं और अन्त्य 'अ' का 'इ' या 'ए' कर दिया जाता है- सोच्छिमो/सोच्छिमुसोच्छिम, सोच्छेमो/सोच्छेमु/सोच्छेम । सोच्छिहिमो आदि रूप भी बनते हैं (हे. प्रा. व्या., 3-172)। अर्धमागधी में रोच्छ, सोच्छ, वोच्छ आदि क्रियाओं में वर्तमानकाल का मो प्रत्यय जोड़ देने से भविष्यत्काल का रूप बन जाता है, जैसे-वोच्छामो, सोच्छामो आदि (घाटे, पृष्ठ 121)। प्राकृत रचना सौरभ [ 45 ___Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002571
Book TitlePrakrit Rachna Saurabh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year1994
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size6 MB
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