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Jain Education International 2010_03
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पुल्लिंग
देव -
सुसु
सुं -एसुं
नपुंसकलिंग कमल - अ
सु एसु
सुं सुं
स्त्रीलिंग
कहा- ग्रा
सु
हरि-इ
सुईसु
सुईसुं
मई -- इ
सुईसु
सुं→ईसुं
सप्तमी बहुवचन
गामणी - ई
वारि-इँ
सुईसु
सुंईसुं
लच्छी - ई
69
साहु-उ
सुऊसु
सुं→ऊसुं
धणु - उ
सुऊसु
सुं ऊसुं
सभू-ॐ
सु
महु — उ
सुऊसु
सुं →ऊसुं
बहु – ॐ
सु
669
सु
प्राकृत रचना सौरभ 1
(.221