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हरि-इ
साहु-उ
Jain Education International 2010_03
पंचमी एकवचन
गामणी-ई णो→इणो त्तो-इत्तो
सयंभू-ऊ णो-उरणो तो→उत्तो प्रो
218 ]
2111
तो
त्तो
प्रो
प्रो→ईओ उ-ईउ हितो-ईहितो
प्रो-ऊो उ-+ऊउ हिन्तो-हिन्तो
44
हिन्तो ।
हिन्ता
पुल्लिग देव-अ
सो→अत्तो प्रो→ानो उ→ग्राउ हिपाहि हितो+ग्राहितो
0-+आ नपुंसकलिंग कमल-अ
त्तो प्रोग्रामो उ→ग्राउ हि→ाहि हिन्तो+आहिन्तो
0+या स्त्रीलिंग कहा-या
वारि-इ
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मो→ईयो उ→ईउ हिन्तो-ईहिन्तो
प्रो→ऊो उ-ऊउ हिन्तोऊहिन्तो
लच्छी - ई
bat me
मइ-३ अ-+ई प्रा+ईश्रा इ-ईइ ए+ईए तो+इलो प्रो-+ईयो
te bo
धेणु-उ अ+ऊन मा+ऊया इ +ऊ ए+ऊए नो-+उत्तो ओ+ऊो उ-+ऊउ हिन्तो-+ऊहिन्तो
प्राकृत रचना सौरभ
। प्रकृत रचना खौरन
तो+इत्तो
तोउ+त्तो
प्रो
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हिन्तो-+ईहिन्तो
हिन्तो
हिन्तो