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प्रथमा बहुवचन
Jain Education International 2010_03
प्राकृत रचना सौरभ ]
प्राकृत रचना सौरभ ]
पुल्लिग
देव-अ
गामणी-ई
साहु-उ
--ऊ
हरि-इ o→ई
0→पा
0→ई
अउ
अउ
अग्रो
प्रो
अग्रो
अग्रो णो→इणो
अवो
अवो
गो-→उणो
नपुंसकलिंग
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कमल-अ वारि-इ इं→पाइँ इं→पाई णि→पाणिणि→ईणि
णि आणि
स्त्रीलिंग
मई-ई
घेणु-उ 0→ पोऊपो
[
मो→ईओ उ-ईउ
उ→ऊउ
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