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________________ संज्ञा शब्द चतुर्थी व षष्ठी बहुवचन संज्ञाएँ नरिद= राजा अकारान्त पुल्लिंग अकारान्त नपुंसकलिंग आकारान्त स्त्रीलिंग इकारान्त स्त्रीलिंग ईकारान्त स्त्रीलिंग उकारान्त स्त्रीलिंग ऊकारान्त स्त्रीलिंग सर्वनाम अकर्मक क्रियाएँ इस = - हँसना, जग्ग= जागना, बड्ढ = बढ़ना, णिज्भर = भरना, पाठ 68 जुवइ = युवती पुत्ती = पुत्री धेषु = गाय जंबू = जामुन का पेड़ अम्हाण / अम्हाणं / ममाण / ममाणं / मज्झाण / मज्झाणं षष्ठी बहुवचन नरिदार / नरिदाण रज्ज = राज्य प्राकृत रचना सौरभ ] Jain Education International 2010_03 माया = माता तुमाण / तुहाण / तुम्हाणं / तुज्झाण / तुज्झाणं तेसिं/ ताण / ताणं तेसि / ताण / ताणं पुत्ता हसन्ति/प्रादि चतुर्थी व षष्ठी वहुवचन नरिदाण / नरिदाणं रज्जाण / रज्जाणं मायाण / मायाणं जुवईण / जुवईणं पुतीण / पुत्तीर्ण /i जंबूण / जंबू = हमारे लिए / हमारा = तुम सबके लिए / तुम सबका = उन (पुरुषों) के लिए / उनका = उन (स्त्रियों) के लिए / उनका सकर्मक क्रियाएं रक्ख= रक्षा करना इच्छ= चाहना गच्छ = जाना कोबक बुलाना - = राजानों के पुत्र हँसते है । For Private & Personal Use Only [ 155 www.jainelibrary.org
SR No.002571
Book TitlePrakrit Rachna Saurabh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year1994
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size6 MB
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