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________________ पाठ 67 संजा शब्द चतुर्थी व षष्ठी विभक्ति एकवचन संज्ञाएं सामि स्वामी चतुर्थी व षष्ठी एकवचन सामिणो/सामिस्स इकारान्त पुल्लिग ईकारान्त पुल्लिग गामणी गाँव का मुखिया गामणिणो/गामणिस्स साहु साधु साहुणो साहुस्स उकारान्त पुल्लिग ऊकारान्त पुल्लिग सयंभू स्वयंभू सयंमुणो/सयंभुस्स इकारान्त नपुंसकलिंग वारिजल वारिणो/वारिस्स उकारान्त नपुंसकलिंग वत्थु पदार्थ वत्थुणो/वत्थुस्स अकर्मक क्रियाएँ सकर्मक क्रियाएँ गल-गलना, फुरप्रकट होना कर:-करना चुधटपकना, जग्ग=जागना पढ=पढ़ना षष्ठी एकवचन सामिणो/सामिस्स गब्बो गलइ /आदि =स्वामी का गर्व गलता है । गमणिणो/गमणिस्स पुत्तो गंथं पढइ आदि = गांव के मुखिया का पुत्र ग्रन्थ पढ़ता है । साहुणो/साहुस्स तेऊ फुरइ/आदि =साधु का तेज प्रकट होता है । सयंभुणो सयंभुस्स पुत्तो जग्गइ/प्रादि ___=स्वयंभू का पुत्र जागता है । वारिणो/वारिस्स बिन्दू चुअइ /ग्रादि =जल की बूंद टपकती है । सो वत्थुणो/वत्थुस्स गाणं करइ /आदि =वह पदार्थ का ज्ञान करता है । त्राकृत रचना सौरभ । [ 153 ___Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002571
Book TitlePrakrit Rachna Saurabh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year1994
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size6 MB
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