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________________ प्रथमा इकारान्त स्त्रीलिंग जुवइ-युवती एकवचन बहुवचन जुवई जुवई/जुवईउ/जुवईयो तृतीया जुवई/जुवईए/जुवईइ/जुवईमा जुवईहि/जुवईहिं/जुवईहिँ ईकारान्त स्त्रीलिंग लच्छी-लक्ष्मी एकवचन बहुवचन प्रथमा लच्छी/लच्छीआ लच्छी/लच्छीउ/लच्छीरो/लच्छीमा लच्छीम/लच्छीए/लच्छीइ/ लच्छीहि/लच्छीहिं/लच्छीहिँ लच्छीमा तृतीया प्रथमा उकारान्त स्त्रीलिंग तणु शरीर एकवचन बहुवचन प्रथमा तणू तणू/तणूउ/तणूत्रो तृतीया तणूम/तणूए/तणूया/तणूइ तणूहि/तणूहिं/तणूहिँ ऊकारान्त स्त्रीलिंग चमू=सेना एकवचन बहुवचन चमू चमू/चमूउ/चमूम्रो तृतीया चमून/चमूए/चमूइ/चमूया चमूहि/चमूहि/चमूहि नोट-पिछले पाठों में अकारान्त पुल्लिग, अकारान्त नपुंसकलिंग तथा आकारान्त स्त्रीलिंग समझाए गए हैं। प्रकारान्त पुल्लिग नरिंद-राजा एकवचन प्रथमा नरिंदो नरिंदा (पाठ 31) तृतीया नरिदेग/नरिदेणं नरिंदेहि/नरिंदेहि/नरिदेहिं (पाठ 45) अकारान्त नपुंसकलिंग कमल-कमल का फूल एकवचन बहुवचन प्रथमा कमलं कमलाई/कमलाई/कमलाणि (पाठ 35, 36) तृतीया कमलेण/कमलेणं कमलेहि/कमलेहि/कमलेहिं (पाठ 45) बहुवचन 138 ] प्राकृत रचना सौरभ Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002571
Book TitlePrakrit Rachna Saurabh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year1994
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size6 MB
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