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________________ इकारान्त पुल्लिंग प्रथमा तृतीया ईकारान्त पुल्लिंग एकवचन सामी सामिणा प्रथमा तृतीया उकारान्त पुल्लिंग प्रथमा तृतीया एकवचन गामणी गामणिणा प्रथमा तृतीया ऊकारान्त पुल्लिंग प्रथमा तृतीया एकवचन पहू पहुणा प्रथमा तृतीया इकारान्त नपुंसकलिंग एकवचन वारि वारिणा एकवचन सयंभू सयंभुरा उकारान्त नपुंसकलिंग एकवचन वत्युं वत्थूणा प्राकृत रचना सौरम 1 Jain Education International 2010_03 पाठ 61 बहुवचन सामी / सामउ / सामश्रो / सामिणो सामीहि / सामीहि / सामीहिं बहुवचन पहू / पहउ / पहलो / पहवो / पहुणो पहूहि / पहूह / पहूहिँ सामि गामरणी = गाँव का मुखिया बहुवचन गामणी / गामउ / गामण / गामणिरणो गामणीहि / गामणी हि / गामणीहिं बहुवचन वारीइं / वारी हूँ / वारीणि वारीहि / वारीहि / वारीहिं बहुवचन वत्थूइं / वत्थूइँ / वत्थूणि थूह / वह / वत्थू For Private & Personal Use Only स्वामी बहुवचन सयंभू / सभउ / सयंभो / सयंभवो / सयंभुगो भूहि / सहि/सयंभू हिं पहु = प्रभु सयंभू = स्वयंभू वारि: =जल वत्थु = पदार्थ [ 137 www.jainelibrary.org
SR No.002571
Book TitlePrakrit Rachna Saurabh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year1994
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size6 MB
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