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________________ मायाए मायाअ/मायाइ साहू देक्खियो/देखिदो/ देक्खितो =माता के द्वारा साधु देखा गया । साहूहि/साहूहि/साहूहिँ वयो पालियो/पालिदो/ पालितो साधुओं के द्वारा व्रत पाला गया। (i) नपुंसकलिंग नरिदेण/नरिदेणं धणं इच्छिअं/इच्छिदं/इच्छितं = राजा के द्वारा धन चाहा गया। रगाणं जोगीहि/जोगीहिं/ जोगीहिँ पण मिश्र/पणमिदं/ पणमितं =योगियों द्वारा ज्ञान प्रणाम किया गया। रज्जेण/रज्जेणं सासणं रक्खि/रक्खिदं/ रक्खितं = राज्य के द्वारा शासन रक्षा किया गया । सूणूहि/सूहि/सूणूहिँ सोक्खाइं/सोक्खाइँ/ इच्छिाइं/इच्छिाई/=पुत्रों द्वारा सुख चाहे सोक्खाणि इच्छिमाणि गये। (iii) स्त्रीलिंग नरिदेण/नरिंदेणं पसंसा सुणिया/सुणिदा/सुणिता= राजा के द्वारा प्रशसा सुनी गई। सेरणावइरणा सरिया देक्खिा /देखिदा/ देक्खिता =सेनापति के द्वारा नदी देखी गई। बंधुणा गंगा पणमित्रा/परणमिदा/ =भाई के द्वारा गंगा परमिता प्रणाम की गई। . मायाए/मायाइ/मायाअ कहा/कहाउ/ सुणिया/सुरिणाउ/ =माता के द्वारा कथाएँ कहानो सुणिमाओ/आदि सुनी गई। 1. उपर्युक्त सभी वाक्य कर्मवाच्य में हैं। इनमें कर्ता में तृतीया, कर्म में प्रथमा और क्रिया कर्म के लिंग और वचन के अनुसार होती है । प्राकृत रचना सौरभ ] [ 131 Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002571
Book TitlePrakrit Rachna Saurabh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year1994
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size6 MB
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