________________
कर्मवाच्य वर्तमानकाल एकवचन
क्रर्ता-तृतीया कर्म-प्रथमा क्रिया-परिवर्तित कर्म के अनुसार मायाए/मायाइ। सो/सा पालिज्ज इ/पालीअइ/ =माता के द्वारा वह पाला जाता मायाम
पादि
है/पाली जाती है। हरिणा यह/हं/अम्मि पणमिज्जमि/पण मीममि/=हरि के द्वारा मैं प्रणाम किया
आदि
जाता हूँ। हरिणा तुमं/तुं/तुह पण मिज्जसि/पणमीअसि/ हरि के द्वारा तुम प्रणाम
आदि
किये जाते हो। हरिणा सो/सा पणमिज्जइ/पणमीअइ/ =हरि के द्वारा वह प्रणाम
प्रादि
किया जाता है/की जाती है । साहुणा . अहं/हं/अम्मि कोक्किज्जमि/कोक्कीअमि=साधु के द्वारा मैं बुलाया पादि
जाता हूँ। साहुणा तुम/तुं/तुह कोक्किज्जसि/कोक्कीमसि/= साधु के द्वारा तुम बुलाये
मादि
जाते हो। साहुणा सो/सा कोक्किज्जइ/कोक्कीइ/ =साधु के द्वारा वह बुलाया
मादि
जाता है/बुलाई जाती है । साहुणा कहा कहा सुरिणज्जइ/सुणीमइ/अादि =साधु के द्वारा कथा सुनी
जाती है।
नरिदेण
नरिदेण
वर्तमानकाल बहुवचन अम्हे/वयं
कोक्किज्जमो/कोक्कीसमो/= राजा के द्वारा हम बुलाये प्रादि
___ जाते हैं। तुम्हे/तुझे/तुब्भे कोक्किज्जह/कोक्कीमह/ =राजा के द्वारा तुम (सब) आदि
धुलाये जाते हो। ते कोक्किन्जन्ति/कोक्कीमन्ति/=राजा के द्वारा चे बुलाए ग्रादि
जाते हैं। ता/तायो/ताउ कोक्किज्जन्ति/कोक्कीमन्ति/=राजा के द्वारा वे बुलाई मादि
जाती हैं।
नरिदेण
रिदेण
प्राकृत रचना सौरभ ]
[ 125
____Jain Education International 2010_03
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org