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________________ पाठ 45 भूतकालिक कृदन्त (भाववाच्य में प्रयोग) संज्ञाएं, सवनाम अकारान्त पुल्लिग नरिंद अकारान्त नपुंसकलिंग कमल अम्ह→प्रह/हं/अभिम (पुरुषवाचक सर्वनाम, उत्तम पुरुष, प्रथमा एकवचन) तुम्ह-→तुम/तुं/तुह (पुरुषवाचक सर्वनाम, मध्यम पुरुष, प्रथमा एकवचन) त→सो (पुरुष) (पुरुषवाचक सर्वनाम, अन्य पुरुष, प्रथमा एकवचन) ता→सा (स्त्री) (पुरुषवाचक सर्वनाम, अन्य पुरुष, प्रथमा एकवचन) आकारान्त स्त्रीलिंग ससा क्रियाएँ हस-हँसना, विप्रस-खिलना, जग्गजागना वड्ढ=बढ़ना (i) तृतीया एकवचन नरिदेगा/नरिदेणं =राजा के द्वारा हंसा गया । . नपुंसकलिंग एकवचन हसिग्रं/हसिदं/हसियं/हसितं विअसिग्रं/विग्रसिदं/विअसियं विग्रसितं कमलेण/कमलेणं =कमल के द्वारा खिला गया। ससाए/ससाइ/ससाग्र जग्गिअं/जग्गिदं/जग्गियं जग्गितं =बहिन के द्वारा जागा गया । मइ/मए/मे/ममए हसिधे हसिदं/हसियं हसितं ___=मेरे द्वारा हँसा गया। तइ/तए। तुमे/तुमए हसिग्रं/ हसिदं/हसियं हसितं =तुम्हारे द्वारा हँसा गया । तेण तेणं हसिय/हसिद/हसियं/हसितं = उसके द्वारा हंसा गया। ताए/तीए हसि हसिदं/हसियं/हसितं =उस (स्त्री) के द्वारा हंसा गया। 96 ] प्राकृत रचना सौरभ Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002571
Book TitlePrakrit Rachna Saurabh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year1994
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size6 MB
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