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ससाणच्चन्ता/णच्चमाणा (i) थक्की बहिनें नाचती हुईं थकीं ।
(भूतकाल) ससानो णच्चन्तायो/णच्चमाणाम्रो
_ (ii) थक्किया थक्कि ग्रामो =बहिनें नाचती हुई णच्चन्ताउणच्चमारगाउ
थक्किग्राउ
थकी। (भूतकालिक कृदन्त)
ससाउ
ससा ससानो
णच्चन्ता/णच्चमाणा णच्चन्तायो/णच्चमाणाम्रो थक्किहिन्ति प्रादि = बहिनें नाचती हुई थकेंगी।
(भविष्यत्काल) णच्चन्ताउ/णच्चमाणाउ
ससाउ
1. उपर्युक्त सभी क्रियाएँ अकर्मक हैं ।
2. उपर्युक्त सभी वाक्य कर्तृवाच्य में हैं ।
3.
भूतकाल के भाव को प्रकट करने के लिए भूतकालिक कृदन्त का भी प्रयोग किया जाता
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प्राकृत रचना सौरभ
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