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________________ (ख) क्रियाएँ वड्ढ = बढ़ना, वर्तमान कृदन्त के प्रत्यय न्त मारण कमलं कमलं कमलं कमलं वड्ढ (i) वाक्यों में प्रयोग विशेष्य : नपुंसकलिंग, एकवचन प्रथमा विभक्ति ( कर्ता कारक ) वड्ढन्त = बढ़ता हुआ वड्ढमारण = बढ़ता हुआ कमलाई कमलाई कमलाणि ( वर्तमानकृदन्त ) विप्रसन्तं / विश्रमाणं विसन्तं / विश्रमाणं विसन्तं / विश्रसमाणं विसन्तं / विप्रमाणं विश्रस = खिलना, प्राकृत रचना सौरभ ] ( सभी कालों में ) सोहइ / आदि Jain Education International 2010_03 विवसताइं / विप्रसंताइँ विश्रसंताणि सोह / आदि सोहिहि / आदि विस विप्रसन्त = खिलता हुआ विप्रसमाण = खिलता हुआ == कमल खिलता हुआ शोभता है । (वर्तमानकाल ) = कमल खिलता हुआ शोभे । ( विधि एवं प्रज्ञा ) (i) सोहीअ (ii) सोहि / आदि कमल खिलता हुआ शोभा । (भूतकालिक कृदन्त ) (ii) वाक्यों में प्रयोग विशेष्य : नपुंसकलिंग, बहुवचन प्रथमा विभक्ति ( कर्ता कारक ) (वर्तमान कृदन्त) (सभी कालों में ) = कमल खिलता हुआ शोभा । (भूतकाल ) = कमल खिलता हुआ शोभेगा । (भविष्यत्काल) > सोहन्ति / प्रादि = कमल खिलते हुए शोभते हैं । ( वर्तमानकाल ) For Private & Personal Use Only [ 91 www.jainelibrary.org
SR No.002571
Book TitlePrakrit Rachna Saurabh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year1994
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size6 MB
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