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________________ ८४ लाख पूर्व ८४ लाख त्रुटितांग ८४ लाख त्रुटित ८४ लाख अडडांग ८४ लाख अडड ८४ लाख अववांग समय असंख्यात समय संख्यात आवली ७ प्राण ७ स्तोक ७७ लव ३० मुहूर्त १५ अहोरात्र २ पक्ष २ मास ३ ऋतु Jain Education International 2010_03 = = १ त्रुटित = = = १ अडड ८४ लाख अवव ८४ लाख हूहूकांग ८४ लाख हूहूक ८४ लाख उत्पलांग = १ उत्पल इसी प्रकार आगे पद्मांग, पद्म, निलनांग, नलिन, अर्थ-निपुरांग, अर्थनिपुर, अयुतांग, अयुत, प्रयुतांग, प्रयुत, नयुतांग, नयुत, चूलिकांग, चूलिका, शीर्षप्रहेलिकांग और शीर्षप्रहेलिका उत्तरोत्तर चौरासी लाख गुणित जानना चाहिए । यह काल-माप श्वेताम्बर - आगमों के दिगंबर मान्यतानुसार उपर्युक्त अनुसार है | २३ कालमाप का वर्णन इस प्रकार है२४ : = काल का सबसे छोटा अविभागी अंश = 11 = १ अवव ४७ = = = = १ हूहूक = १ त्रुटितांग = = १ आवली 11 १ अडडांग = = १ अववांग = = १ लव = १ हूहूकांग १ उत्पलांग १ प्राण (श्वासोच्छ्वास) १ स्तोक १ मुहूर्त १ अहोरात्र १ पक्ष १ मास १ ऋतु १ अयन For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002570
Book TitleJain Agamo me Swarg Narak ki Vibhavana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemrekhashreeji
PublisherVichakshan Prakashan Trust
Publication Year2005
Total Pages324
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & agam_related_other_literature
File Size17 MB
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