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एक तराजू जिसका एक पलडा स्वर्ग में और दूसरा पलडा नरक में पडेगा, उसकी मदद से मनुष्य के पुण्य और पाप तौले जाएंगे । पुण्य अधिक होंगे तो स्वर्ग में और पाप अधिक होंगे तो नरक में भेजे जाएंगे ।
उनका शरीर अपने शरीर जैसा नहीं वरन् उनके भले बुरे कार्यों का बना होगा । वह शरीर धारण करके उसे 'अससिरात' नामक पुल पार करना होगा । जो कि बाल से भी बारीक तथा तलवार की धार से भी तीक्ष्ण होगा । जो सवाबी-पुण्यात्मा होगा, वह उसके उपर से सड़सडाट निकलकर स्वर्ग में चला जावेगा और पापात्मा गुड़क कर नीचे नरक में गिर पडेगा ।
जन्नत-स्वर्ग में सुख भोगने के लिये प्रत्येक मनुष्य को शारीरिक बल दिया जावेगा। स्वर्ग में तुबा नामक वृक्ष है, वह तुरंत इन्सान की कोई भी मुराद पूरी कर देगा । वे जन्नतवासी कीमती पोशाकें पहन कर सोनाचांदी के पात्रों में से मनपसंद भोजन करेंगे । तथा अमृत जैसे पेय पीयेगे । कुरान ५६, २२ के अनुसार काली आँखो वाली हुरियाँ उनको आनंद देगी । कुरान ५६-१७-१८ के अनुसार सुंदर-सोहामणे किशोर शराब के प्याले लेकर उनके बीच में फिरते रहेंगे ।
स्वर्ग में चार प्रकार की नदियाँ बहेगी- १. रहीक (पानी की) २. तसनीय (दूध की) ३. कौसर (शराबकी) ४. सबसबील (मधु की) । स्वर्ग भी सात है-१. जन्नत अल फिरदौस (ईश्वर की फुलवाडी) २. जन्नत अल अदन (ईदन की वाडी) ३. जन्नत अल खुल्द (अनंतता की वाडी) ४. दार उल मुकाम (शांतिका धाम) ५. दार उल नईम (न्यायमत का धाम) ६. जन्नत उल मावा (रहेठाण की वाडी) ७. ईल्लीयून (सर्वोत्कृष्ट स्वर्ग)
___ इनके मतानुसार स्वर्ग और नरक के बीच में एक दीवाल है, कुरान ७, ४४ में उल्लेख है कि उसका नाम उनल उनरफ है। जिन मनुष्यों का पुण्य और पाप तोल समान उतरता है, वह स्वर्ग या नरक में नहीं जाता, वरन् इस दीवार के पास खड़ा रहता है । यह जरथोश्ती के समान ही है ।
कुरान १९, ७२ में स्पष्टतः उल्लेख है कि सभी मनुष्य चाहे वह मुस्लिम हो या अमुस्लिम नरक में तो सभी को जाना ही पड़ेगा । किन्तु जो मुस्लिम है, उनको वहां की गर्मी का अनुभव नहीं होता । और वे थोडे ही समय में वहाँ से निकल जाते हैं । जो अमुस्लिम हैं, वे बहुत लम्बे समय तक कदाच हमेंशा के लिये भी उसको वहाँ रहना पडे । इस मत के अनुसार नरक की भयंकर
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