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समाज में किसी भी वर्ण का जन्मसिद्ध श्रेष्ठत्व न मानकर, गुण-कर्मकृत ही श्रेष्ठत्व व कनिष्ठत्व मानता है । इसलिए वह समाज रचना तथा धर्माधिकार में जन्मसिद्ध वर्णभेद का आदर न कर के गुण कर्म के आधार पर ही सामाजिक व्यवस्था करता है । अतएव उनकी दृष्टि में एक सद्गुणी शुद्र भी दुर्गुणी ब्राह्मण से श्रेष्ठ है । और धार्मिक क्षेत्र में योग्यता के आधार पर हर एक वर्ण का पुरुष या स्त्री समान रूप से उच्च पद के अधिकारी है । श्रमणधर्म का अन्तिम साध्य ब्राह्मण धर्म की तरह अभ्युदय न होकर निःश्रेयस है । जिसका अर्थ है कि ऐहिक पारलौकिक नानाविध सब लाभों का त्याग सिद्ध करने वाली ऐसी स्थिति, जिस में पूर्ण साम्य प्रकट होता है और कोई किसी से कम योग्य या अधिक योग्य नहीं रहने पाता । जीव जगत के प्रति श्रमण धर्म की दृष्टि पूर्ण आत्मसाम्य की है, इस में भी किसी देहधारी का किसी भी निमित्त से किया जाने वाला वध आत्मवध जैसा ही माना गया है और वध मात्र को अधर्म का हेतु माना है ।
ब्राह्मण धर्म का मूल था ब्रह्मन् - उससे ब्राह्मण परंपरा विकसति हुई । इधर श्रमण परंपरा 'सम' - साम्य, शम अथवा श्रम से विकसित हुई । ब्रह्मन् के यों तो अनेक अर्थ है किन्तु प्राचीन अर्थ दो हैं- १) स्तुति - प्रार्थना; २) यज्ञ-यागादि कर्म । वैदिक मंत्रों एवं सूक्तों के आधार पर जो नाना प्रकार की स्तुतियाँ व प्रार्थना की जाती है वह तथा इन्हीं मंत्रों के विनियोग वाला यज्ञ-यागादि कर्म 'ब्रह्मन्' कहलाता है । इन ऋचाओं का पाठ करने वाला पुरोहित वर्ग एवं यज्ञयागादि संपादित करने वाला पुरोहित वर्ग ब्राह्मण कहलाता है - यह हुई वैदिक परंपरा ।
जहाँ वैदिक परंपरा में एकमात्र पुरोहित बनने का या गुरुपद का अधिकार ब्राह्मण वर्ग को दिया गया, ठीक इसके विपरीत श्रमण परंपरा में कहा गया कि सभी सामाजिक स्त्री-पुरुष सत्कर्म एवं धर्मपद के समान रूप से अधिकारी हैं । जो प्रयत्न एवं पुरुषार्थ से योग्यता प्राप्त करता है वह वर्ग एव लिंगभेद के होने पर भी गुरूपद का अधिकारी हो सकता है । यह सामाजिक एवं धार्मिक समता की मान्यता ब्राह्मण धर्म की मान्यता से पूर्णतया विरूद्ध थी । इस तरह ब्राह्मण व श्रमणधर्म का वैषम्य और साम्यमूलक इतना विरोध है कि जिससे दोनों धर्मों के बीच संघर्ष होता रहा है, जो कि सहस्त्रों वर्षों के इतिहास में लिपिबद्ध है । यह विरोध ब्राह्मणकाल में भी था, और बुद्ध और महावीर के समय में भी था और उनके पश्चात् भी चलता आया है ।
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