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________________ १३२ ८. विमानों का स्वरूप - ये विमान पूर्ण रत्नमय, स्फटिक के समान, स्वच्छ, कोमल, घिसे हुएचिकने बनाए हुए होते हैं । ये रजरहित, निर्मल, पंकरहित, निरावरण कान्ति वाल होते हैं । प्रभायुक्त, श्री सम्पन्न, उद्योतसहित, प्रसन्नता उत्पन्न करने वाले, दर्शनीय, रमणीय होते हैं । ९. विमानो की व्यवस्था सौधर्म, ईशान आदि जो बारह कल्प (स्वर्ग) हैं१३७ उनमें प्रथम सौधर्म कल्प ज्योतिश्चक्र के असंख्यात योजन ऊपर मेरूपर्वत के दक्षिण भाग से उपलक्षित आकाशप्रदेश में स्थित हैं। उसके बहुत ऊपर किन्तु उत्तर की ओर ईशान कल्प है । सौधर्म कल्प के बहुत ऊपर समश्रेणी में सनत्कुमार कल्प है और ईशान के ऊपर समश्रेणि में माहेन्द्र कल्प है । इन दोनों के मध्य में किन्तु ऊपर ब्रह्मलोक कल्प है । इसके ऊपर समश्रेणि में क्रमशः लान्तक, महाशुक्र और सहस्त्रार ये तीन कल्प एक-दूसरे के ऊपर हैं । इनके ऊपर सौयार्म और ईशान की तरह आनत और प्राणत ये दो कल्प हैं । इनके ऊपर समश्रेणि में सनत्कुमार और माहेन्द्र की तरह ____ आरण और अच्युत कल्प हैं । कल्पों से ऊपर-ऊपर अनुक्रम से नौ विमान हैं जो पुरुषकृति लोक के ग्रीवास्थानीय 'ग्रैवेयक' हैं । इनसे ऊपर-ऊपर विजय, वैजयन्त, जयन्त, अपराजित और सर्वार्थसिद्ध ये पाँच अनुत्तर विमान हैं । सबसे उत्तर (प्रधान) होने के कारण ये 'अनुत्तर' कहलाते हैं । सौधर्म कल्प से अच्युत कल्प तक के देव कल्पोपपन्न हैं और इनसे ऊपर के सभी देव कल्पातीत हैं । कल्पोपपन्न देवों में स्वामिसेवकभाव होता है, कल्पातीत में नहीं । सभी कल्पातीत देव इन्द्रवत् होते हैं, इसलिए उनको अहमिन्द्र कहते हैं ।१३८ ___ मनुष्यलोक में किसी निमित्त से आवागमन का कार्य कल्पोपपन्न देव ही करते हैं, कल्पातीत देव अपना स्थान छोड़कर कहीं नहीं जाते । इस प्रकार से वैमानिक देवों के विमानों के स्थान की व्यवस्था हैं । कल्पोपपन्न वैमानिक देवों के विमानों की संख्या : कल्पोपपन्न देवों के इन्द्र सहित श्रेणि बद्ध विमानों की संख्या और उनके आकार का उल्लेख निम्न तालिका में किया गया है३९ : Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org.
SR No.002570
Book TitleJain Agamo me Swarg Narak ki Vibhavana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemrekhashreeji
PublisherVichakshan Prakashan Trust
Publication Year2005
Total Pages324
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & agam_related_other_literature
File Size17 MB
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