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विष्कंभ, परिधि और बाहल्य :
जीवाजीवाभिगम ०९ सूत्र में उल्लेख है कि - विष्कंभ अर्थात् लंबाई-चौड़ाई, परिधि अर्थात् गोलाई, और बाहल्य का अर्थ मोटाई है ।
चंद्र विमान - एक योजन के ६१ भागो में से ५६ वें भाग की लंबाईचौड़ाई है, इसमे तीन गुणी से कुछ अधिक उसकी गोलाई होती हैं, और एक योजन के ६१ भागों में से २८ भाग () प्रमाण विमान की मोटाई हैं । इतना विशाल चंद्र विमान है । इसी प्रकार शेष ज्योतिष्क देवों के विमानों का प्रमाण है ।
सूर्य विमान - एक योजन के ६१ भागों में से ४८ वा भाग प्रमाण लम्बाचौड़ा है। इससे तीन गुणी से कुछ अधिक उसकी परिधि है । एक योजन के ६१ भागों में से २४ भाग ( ) प्रमाण की मोटाई सूर्यविमान की है ।
ग्रह विमान - आधा योजन लम्बा- -चौड़ा, इससे तीन गुणी से कुछ अधिक परिधि वाला और एक कोस की मोटाई वाला होता हैं ।
नक्षत्र विमान - एक कोस लम्बा-चौड़ा है । इससे तीन गुणी से कुछ अधिक परिधि वाला और आधे कोस की मोटाई युक्त है ।
तारों के विमान - आधे कोस की लम्बाई-चौड़ाई के होते हैं । इससे तीन गुणी से कुछ अधिक परिधि वाले हैं, और पाँच सौ धनुष की मोटाई वाले हैं । १९. चन्द्र विमान का वहन
वहन अर्थात् उठाना, चलाना गति करना । वैज्ञानिक युग में सभी वाहन मशीन, पेट्रोल, बिजली से चलाये जाते हैं। छोटे-छोटे गाँवो में बैलगाडी को बैल, रथ को घोड़े या हाथी चलाते हैं ।
उसी तरह चंद्र विमान को चारों ओर से विविध रूप धारण किये हुए देव 'वहन' करते हैं । सोल हजार देव इस विमान को उठाते हैं ।
पूर्वदिशा में चार हजार देव सिंह का रूप धारण करते हैं । दक्षिण दिशा में चार हजार देव हाथी का रूप धारण करते हैं । पश्चिम दिशा में चार हजार देव बैल का रूपधारण करते है । उत्तर दिशा में चार हजार देव अश्व का रूप धारण करते हैं ।
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