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कुसुमपूजायां कथा ॥
५७ जइ एवं ता भयवं पावाइ अणुट्ठियं मए पोवं । मालाए वुत्तंतो नीसेसो साहिओ तस्स ॥२४॥ भयवं पावविसोही होही कह कहसु मज्झ पावाए । भणिया जिणपूआए भावविसुद्धीइ विहियाए ॥२५॥ तत्तो समुट्ठिऊणं पभणइ नमिऊण जावजीवाए । कायव्वा अवस्स मए जिणपूया तिन्नि संज्झाओ ॥२६॥ तह जिणमई य पच्छा पच्छायावेण तावियसरीरा । खामइ चलणविलग्गा पुणो पुणो भावसुद्धीए ॥२७|| एवं मुणिवयणाओ पडिबुद्धा सहजणेण अह लीला । निम्मलसम्मत्तजुया संजाया साविया परमा ॥२८॥ जाव न अत्थविणासो जाव न जीवस्स बंधवविओगो । जाव न पावइ दुक्खं ताव न धम्ममि उज्जमइ ॥२९॥ एवं विबोहिऊणं मुणिणो सम्माणदाणकयपूया । संपत्तसाहुकारा विणिग्गया तीइ गेहाओ ॥३०॥ लीलावई वि तत्तो तिन्नि वि संज्झासु पवरकुसुमेहिं । पुज्जइ जिणवरचंदं पइदियहं परमभत्तीए ॥३१॥ अह उक्कंठियहियया बहुदिणदिट्ठाउ जणणिजणयाण । नियपइणा अणुन्नाया समागया उत्तरामहुरं ॥३२॥ लच्छी इव सहसाए गेहमि समागयाइ लीलाए । संजाओ संतोसो बंधवजणजणणिजणयाण ॥३३॥
१. पावाएऽणुट्ठिय । २. एयं । ३. विसुद्धि वि । ४. अवस । ५. लीलावइ वि। ६. लीलाए । ७. इत्तो । ८. संज्झाओ । ९. पवर ।
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