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[१] प्रथमं परिशिष्टम्
जंबुचरिये उद्धरणानामकाराद्यनुक्रमः ॥
पद्यांशः
अ अच्चणमवि बहुभेयं अच्छंतु तिरियनरएसु अच्छउ ता अपुणागमअणसणमूणोयरिया अणुपुंखमावहता [य] अणुरायनेहभरिए अणुसोयइ अन्नजणं अत्थस्स कारणट्ठा अत्थो होइ अणत्थो अथिरं जीयं रिद्धी य अथिरा चंचलराया अथिरा चवला दुट्ठा अथिराण चंचलाण य अधुवं चलं असारं अन्नह परिचिंतिज्जइ अन्नह परिचिंतिज्जइ अन्नाण होइ संका अन्नाणंधो जीवो अन्ने भवसयदुलहं
श्लोक-पत्राङ्कः । पद्यांशः
अन्ने वि विसममहियल६८५।२४७
| अन्ने वि सिसिरमारुय११५।१५६
अन्ने विरड्यफुफुय२०२।१००
अन्नेण गहियमुक्का २८।१३ | अबुहो जणो न याणइ ४३।१४६
अमयं व गिण्हह इमं १३१५५
| अवरे उण नाणेणं ५८।१५१
| अवरे जाणंत च्चिय १६।१७५/ अवरे तवगारविया किर ९४८८
अवरे बुद्धिविहूणा ११०॥३९
अवरे सामन्नं चिय २०१।१००
| अवि उ8 चिय फुटृति ६१।११६
| अवि चंडवायवीईपणोल्लिया ११८१४०
अविरयडझंतागरु५०।११५
अविराहियसामन्नस्स ९५८८
असढहियओ सलज्जो ३।१०३
| असढहियओ सलज्जो २९२।२१३ | असुइमलरुहिर६८।११९
आ २९६।२१३ | आहारविरहियस्स य
श्लोक-पत्राङ्कः
९३।१९६ ९१।१९६ ८९।१९६ १७।१७५ ५४।११६ १०५।१९७ २९८४२१३ २९४।२१३ २९९।२१४ २९३।२१३ २९५१२१३
१९।१०७ ५४९।२३५
८८।१९६ ७०९।२४९ २७।१८१ ४७११८३ २०११८९
२५१७२
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