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जंबुचरियम् मिच्छत्ततिमिरवामोहियस्स जीवस्स गरुयकम्मस्स । जलुयस्स व सूरपहा जिणवयणं होइ मोहाय ॥५५२॥ जह खंडखीरजूयं परिमन्नइ पित्तमोहिओ कोइ । महुरं पि कडुयरूवं विवरीयमइ त्ति इह पुरिसो ॥५५३॥ निंबरसं पुण मन्नइ सो च्चिय कडुयं पि महुररसतुल्लं । इंदियदोबल्लाओ किं की तस्स पुरिसस्स ॥५५४॥ तह जिणवयणं परिणामसुंदरं जइ वि महुररसरूवं । मिच्छत्तपित्तपहओ वितहम......अहियं ॥५५५॥ कुगइपहपयडपंथं कडुयविवायं पि निंबरसतुल्लं ।
महुररसं परिमन्नइ कुसुइपह......वि जीवो ॥५५६॥ भणियं च- "जह तिमिररुद्धदिट्ठी गयणे सं....वि पेच्छए रूवे ।
सो वि न पेच्छइ फुडवियडे वय......पहरूवे" ॥५५७॥ [ ] तह पावतिमिरमूढो पेच्छइ धम्मं कुतित्थतित्थेसु । पयर्ड पि नेय पेच्छइ जिणधम्मं तत्थ किं कुणिमो ॥५५८॥ इय दुल्ल लोहा होइ सुई जिणिंदभणियस्स विमलधम्मस्स । अह सा वि कह वि पत्ता तत्थ वि सद्धं न सो कुणइ ॥५५९॥ सद्धा भन्नइ भत्ती जिणिंदवयणमि अवितहं सव्वं । जं जं जिणेहिं भणियं तं तं चिय मन्नइ तह त्ति ॥५६०॥ सद्धारहिओ जीवो निसुणइ पर केवलं न सद्दहइ । मन्नइ जिणिंदवयणं पलालपरिभक्खणप्पायं ॥५६१॥ अग्गिव(ध)णजलपमुहं सामग्गि कह वि जइ वि संपत्तो । तह वि न पावइ पारं कंकडुओ निययदोसेण ॥५६२॥ तह जिणवरिंदवयणे जई(?) विच्छत्ती होइ गरुयकम्मस्स । कंकडुयस्स व सद्धा न होइ मणयं वि जीवस्स ॥५६३॥ किं की गुरुकम्मो जाणतो वि य न जाणई जीवो । अहवा दिसिमूढमई सत्थो वि य होइ विवरीओ ॥५६४॥
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