________________
ऐतिहासिक सार-भाग
४९ ___ मुजफ्फरशाह की मृत्यु बाद संवत् १४५४* में अहमदशाह गद्दी पर बैठा । उसने संवत् १४६८४ में साबरमती नदी के किनारे, जहाँ प्राचीन कर्णावती नगरी थी, वहाँ पर, अपने नाम से अहमदाबाद शहर बसाया था और पट्टन के बदले उसे अपनी कायम की राजधानी बनाया । अहमदशाह के पीछे उसका बेटा महंमदशाह बादशाह हुआ, उसके बाद कुतुबुद्दीन और फिर महमूद बादशाह बना । वह महमूद बेगडा के नाम से प्रसिद्ध है । उसने जूनागढ और पावागढ (चांपानेर) के प्रसिद्ध किल्लों को जीत कर अपने राज्य में मिलाये । महमूद के बाद मुजफ्फर दूसरा बादशाह हुआ । वह लक्षण, साहित्य, ज्योतिषशास्त्र और संगीत आदि विद्याओं का अच्छा जाननेवाला था । विद्वानों को आधारभूत और वीरपुरुष था । उसने अपनी प्रजा का, पुत्रवत् पालन किया था । उसके कई पुत्र थे, जिनमें सिकंदर सबसे बडा था । उसने नीति, शक्ति और भक्ति से अपने पिता का और प्रजा का दिल अपनी ओर आकृष्ट कर लिया था । उसका छोटा भाई बहादुरखान नामक था, जो बड़ा उद्भट, साहसिक और शूरवीर था । उसने पूर्वकाल के तब समशेरखान और वजीहुल्मुल्क के बेटे जफरखान को अमीरपद दिया गया । कुछ समय बाद जफरखान को गुजरात का सुबा बनाकर पाटन भेजा गया । फिरोजशाह के मर जाने पर उसने अपने को गुजरात का स्वतंत्र अधिकारी मानकर अपने बेटे तातारखान को, नासिरुद्दीन महम्मदशाह के नाम से गुजरात का स्वतंत्र सुलतान जाहिर किया । महम्मद ने आसावल्ली (जो पीछे से अहमदाबाद कहलाया) को राजधानी बनाया और दिल्ली के बादशाह को जीतने के लिये रवाना हुआ । रास्ते में पाटन में किसीने जहर देकर उसे मार डाला । उसके मर जाने पर, बड़े बड़े अमीरों के कथन से जफरखान स्वयं तख्त पर बैठा और मुजफरशाह के नाम से खुद को गुजरात का बादशाह जाहिर किया । ___ * तवारिखों में सन् १४११ ईस्वी (सं. १४६७) लिखा हुआ है ।
x राजावली कोष्टक में अहमदाबाद के स्थापन की मीती वैशाख वदि ७ रविवार और पुष्यनक्षत्र के दिन की लिखी है । आईन-ए-अकबरी में सन् १४११ और फिरस्ता में सन् १४१२ की साल है ।
Jain Education International 2010_02
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org