SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 23
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आधुनिक वृत्तान्त 'छीपावसही' कही जाती है । इसका निर्माण संवत् १७९१ में हुआ है ! इसके पास एक पांडवों का मंदिर है, जिसमें पांचों पांडवों की, द्रौपदी की और कुन्ती की मूर्तियां स्थापित हैं । जैन धर्म में पांडवों का जैन होना और उनका इस पर्वत पर मोक्ष जाना माना गया है । इसलिये जैन प्रजा उनकी मूर्तियों की भी अपने तीर्थंकरों के समान पूजा करती है । २० ३ साकरचंद प्रेमचंद की टोंक । इसको अहमदाबाद के सेठ साकरचंद प्रेमचंद ने संवत् १८९३ में बनाया है । इसका नाम सेठ के नामानुसार 'साकर - वसही' ऐसा रक्खा गया है । इसमें तीन बडे मंदिर और बाकी बहुत सी छोटी छोटी देहरियां हैं । ४ उजमबाई की टोंक । अहमदाबाद के प्रख्यात नगरसेठ प्रेमाभाई की फूफी उजमबाई ने इस टोंक की रचना की है । इस कारण इसका नाम 'उजमवसही' है । इसमें नंदीश्वरद्वीप की अद्भुत रचना की गई है । भूतल पर छोटे छोटे ५७ पर्वत - शिखर संगमरमर के बनाये गये हैं और उन प्रत्येक पर चौमुख प्रतिमायें स्थापित की हैं । इन शिखरों की चोतरफ सुंदर कारीगरी वाली जाली लगाई गई है । इस मंदिर के सिवा और भी अनेक मंदिर इसमें बने हुए हैं । ५ हेमाभाई सेठ की टोंक । इसको अहमदाबाद के नगरसेठ हेमाभाई ने संवत् १८८२ में बनाया है और ८६ में प्रतिष्ठिति किया है । इसमें ४ बड़े मंदिर और ४३ देहरियां है । Jain Education International 2010_02 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002553
Book TitleShatrunjayatirthoddharprabandha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherShrutgyan Prasarak Sabha
Publication Year2009
Total Pages114
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Tirth
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy