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परिशिष्ट ५ : टिप्पणों में उल्लिखित विशेष विवरण
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४२७
४२८
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एकशाटक की परम्परा त्राटक ध्यान तिर्यगभित्ति ध्यान
४१३,४१४ डा. जेकोबी का संदेह और अर्थ-विपर्यास वीणा-वादक और भगवान महावीर भगवान् के अभिनिष्क्रमण पर पारिवारिक लोगों की प्रार्थना
४१६ सर्वयोनिक उत्पाद दो स्रोत-इन्द्रियां और हिंसा ।
४१९ दो स्रोत-देहासक्ति और आराम । भगवान् करपात्री : चूणि निर्दिष्ट परम्परा अवमान भोज भगवान् की अनासक्ति भगवान् अप्रतिज्ञ थे, कैसे?
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प्रपा-प्याऊ के प्रकार
४२४ श्मशान-वास की चूणि परम्परा
४२५ भगवान् की साधना के तीन अंग
४२६ ग्राम्य उपसर्ग ऐहलौकिक पारलौकिक उपसर्ग भगवान् की अकषायित वृत्ति अनगारपद से अन्यतीर्थिक तथा पार्वापत्य का ग्रहण ४३० भगवान् का लाढ प्रदेश में उपसर्ग
४३२ लाढ प्रदेश तथा जनता का परिचय ४३२,४३३,४३४,४३७ आयुर्वेद के अनुसार संशोधन के लाभ
४३८ पंचकर्म चिकित्सा भगवान् चिकित्सा नहीं करते
४३८,४३९ अन्नग्लायक
४४४ भगवान का ध्यान
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