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________________ कोटिशः प्रणति निवेदित हो। सदैव आपके आशीर्वाद और पाथेय की कामना करते हैं। आपकी कृपा और शुभाशीष से ही इस पाण्डुलिपि का सम्पादन कृति के रूप में प्रस्तुत हो सका है। इस कार्य के सम्पादन में पूज्य मुनिश्री सुमेरमल जी को भी सादर प्रणाम निवेदित करते हैं, जिन्होंने आराधना प्रकरण की हस्तलिखित प्राचीन दो प्रतियाँ उपलब्ध करवाईं। इन्हीं प्रतियों का उपयोग सम्पादन-कार्य में किया गया। इस अवसर पर जैन विश्वभारती संस्थान के अधिकारियों और प्राध्यापकों तथा अन्य कर्मचारीगण को स्मरण कर उनके प्रति हार्दिक कृतज्ञता ज्ञापित करते हैं। विशेष रूप से प्राकृत विभाग के अध्यक्ष डॉ. जगतराम भट्टाचार्य एवं प्रवाचक डॉ. हरिशंकर पाण्डेय का इस कार्य में विशेष सहयोग रहा है। डॉ. पाण्डेय जी ने ग्रन्थ के अनुवाद में महत्त्वपूर्ण सहयोग दिया। अतः उनके एवं समस्त विश्वविद्यालय परिवार के प्रति हार्दिक आभार ज्ञापित करते हैं। विश्वविद्यालय के शोध-अध्येता श्री प्रमोद कुमार लाटा, श्री हेमवती नन्दन शर्मा एवं श्री अंशुमान शर्मा का इस कार्य में प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग प्राप्त हुआ, एतदर्थ उन्हें इस अवसर पर हृदय से स्मरण करते हैं। सदैव शुभाकाँक्षा रखने वाले और प्रत्येक कार्य में प्रोत्साहन देने वाले अपने परिवार के समस्त सदस्यों एवं इष्ट मित्रों के प्रति यथेष्ट अभिवादन सहित इस अवसर पर उन्हें स्मरण करना हमारा कर्तव्य है। उन सभी की प्रेरणा और मंगलकामना से ही इस ग्रंथ का सम्पादन-कार्य संभव हो सका है। आराधना प्रकरण ग्रन्थ के प्रकाशन में अर्थ सौजन्य कर्ता श्री सुभाषचन्द्र जैन (पिसनहारी मढ़िया) जबलपुर एवं प्रकाशक संस्थान के पदाधिकारियों के प्रति हार्दिक आभार, जिन्होंने इसे प्रकाशित कर आप सभी के हाथों प्रस्तुत करने में सहयोग प्रदान किया। __इस ग्रंथ के कम्प्यूटराइज्ड और मुद्रण कार्य करने के लिए अरहन्त कम्प्यूटर्स, बापूनगर, जयपुर के व्यवस्थापकों श्री भागचन्द जैन, शिखर जैन के प्रति आभार, जिन्होंने सुन्दर शब्द-संयोजन और मुद्रण-कार्य करके इस कृति को समाज के अध्येताओं के बीच उपस्थित किया है। हम आशा करते हैं कि सुधीजनों के लिए यह ग्रंथ उपयोगी सिद्ध होगा। जैन विश्वभारती संस्थान, लाडनूं (राज.) 25 अप्रैल, 2002 (महावीर जयन्ती) विनयावनत् डॉ. जिनेन्द्र जैन सत्यनारायण भारद्वाज Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002547
Book TitleAradhana Prakarana
Original Sutra AuthorSomsen Acharya
AuthorJinendra Jain, Satyanarayan Bharadwaj
PublisherJain Adhyayan evam Siddhant Shodh Samsthan Jabalpur
Publication Year2002
Total Pages70
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ethics, & Spiritual
File Size3 MB
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