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आराधना प्रकरण
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तस्स मिच्छामि दुक्कडं। अनुवाद : ज्ञान के उपकरणभूत कवलिया, फलक (काठ का तख्ता), पोथी
(शास्त्र) आदि की जो असातना की है, उसके लिए क्षमा याचना करता
जं समत्तं निस्संकियाई, अट्ठतिहगुणसमाउत्तं।
धारिअंमए न सम्मं, मिच्छामि दुक्कडं तस्स ॥१॥ अन्वय : निस्संकियाइं अट्ठविहगुण-समाउत्तं जं समत्तं मए सम्मं न धारिअं तस्स
मिच्छामि दुक्कडं। अनुवाद : नि:शंकितादि आठ प्रकार के गुणों से युक्त (कथित) जिस सम्यक्तव को
मैंने सम्यक रूप से धारण नहीं किया है, उसके लिए क्षमा याचना करता
जं भजणिया जिणाणं, जिणपडिमाणंच भावउंपूआ।
जं च अभत्ती विहिआ, मिच्छामि दुक्कडं तस्स ॥10 अन्वय : जं भजणिआ जिणाणं जिणपडिमाणं भावउं पूआ जं च अभत्ती विहिआ,
तस्स मिच्छामि दुक्कडं। अनुवाद : जो पूज्यनीय तीर्थंकरों एवं जिनप्रतिमाओं की भावसहित पूजा की है,
उसमें जो अभक्ति हुई हो, उसके लिए क्षमा याचना करता हूँ। · जं विरइउं विणासो चेईअदव्वस्स जं विणासन्तो।
अन्नो उवक्खिउं मे मिच्छामि दुक्कडं तस्स ॥11॥ अन्वय : विरइउं विणासो, चेईअ दव्वस्स विणासन्तो मे अन्नो जं उवक्खिउं तस्स
मिच्छामि दुक्कडं। अनुवाद : विरति (संयम) का विनाश (और) चैत्य द्रव्य का विनाश करता हुआ
मेरे द्वारा अन्य का जो विनाश (उपेक्षा) किया गया हो, उसके लिए मैं क्षमा याचना करता हूँ।
आसायणं कुणंतो,जं कहवि जिणंदमंदिराइसु।
सत्तिए न निसिद्धो, मिच्छामि दुक्कडं तस्स ॥12॥ 1. (अ, ब) - धरिअं
2. ब प्रति में यह गाथा नहीं है। 3. (ब)-- विरईडं
4. (अ) चेइ 5.(अ, ब) - उवक्खिट
6. ब प्रति में यह गाथा नहीं है
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