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जैन दर्शन में समत्व प्राप्त करने का साधन रत्नत्रय
१२३ अत्यन्त अन्धकार से निकलकर प्रकाश में आता है। संक्षेप सम्यग्दर्शन का अर्थ है - विशुद्ध दृष्टि । पाश्चात्य विचारक आर विलियम्स के शब्दों में - जिन द्वारा बताये गये मोक्ष-मार्ग में श्रद्धा सम्यक्त्व है। आचार्य वसुनन्दिन् के अनुसार आप्त, आगम और तत्त्व-पदार्थ इन तीनों में श्रद्धा रखना सम्यक्त्व है। आचार्य हेमचन्द्र के अनुसार-सुदेव, सुगुरु और सुधर्म में श्रद्धा रखना सम्यक्त्व है। उमास्वाति के शब्दों में तत्त्वरूप पदार्थों की श्रद्धा अर्थात् दृढ प्रतीति सम्यग्दर्शन है।
मोक्षप्राप्ति के लिये प्रथमत: दर्शन आवश्यक है। सम्यक्त्व से ही जीव अन्धकार से प्रकाश की ओर आता है। सम्यक्त्व ही केवलज्ञान की उत्पति का स्थान है। सम्यक्त्व केवलज्ञान की माता के समान है। इसकी प्राप्ति सर्वसुलभ नहीं है। ___ यदि मोक्ष को प्राप्त करना हो, कर्म से बद्ध आत्मा को मुक्त बनाना हो, कर्म के योग से भ्रमणशील आत्मा को स्व-स्वरूप में स्थिर करना हो, आनादिकाल की विकृतियों का विनाश करना हो, आत्मा का सुविशुद्ध स्वरूप प्रकट करना हो, सब धर्म को धर्म का वास्तविक स्वरूप देना हो और आचरित धर्म को सार्थक बनाना हो, तो सम्यग्दर्शन का प्रकटीकरण अत्यन्त आवश्यक और अनिवार्य है।
यह धर्मरूपी भवन की सुदृढ़ आधारशिला है । इसकी शुद्धि पर ही व्रतादि की शुद्धि अवलम्बित है। यह वह नेत्र है जो मोक्ष-मार्ग का सही-सही मार्ग दिखाता है। अत: जैन सिद्धान्त में सबसे अधिक महत्त्व सम्यग्दर्शन को दिया गया है। सम्यग्दर्शन का अर्थ है-वस्तु के स्वरूप को देखने-परखने और समझने की दृष्टि का सम्यक् होना । तत्त्व के यथार्थ स्वरूप को जानना और वैसी ही प्रतीति करना सम्यग्दर्शन है। मूलत: यह सम्यग्दर्शन आत्मा का स्वरूप है, इसमें कोई सन्देह नहीं कि सम्यक्त्व आत्मा की स्वयं की ज्योति है और स्वयं में ही प्रज्वलित होती है। ___सम्यक्त्व "सत्य" के दर्शन में है। समण सुत्तं' में आचार्य कुन्दकुन्द का यह श्लोक आया
“णाणाजीवा णाणाकम्म, णाणाविहा हवे लट्टी ।
तम्हा वयणविवादं, स्वपरसमएहिं वजियव्वं ।।" भाँति - भाँति के जीव (हैं), भाँति - भाँति का (उनका) कर्म है तथा भिन्न-भिन्न प्रकार की (उनकी) योग्यता होती है, इसलिये स्व-पर मत से वचन-कलह को (तुम) दूर हटाओ।
जब हम सम्यक दृष्टि बनेंगे तो सब अन्य मत वधारणाओं के प्रति उदार दृष्टि बनेगी, उनके पक्ष को समझने की शक्ति आवेगी। यही हमारे में समता लायेगी। सब के प्रति आदर की दृष्टि याने सम-दृष्टि।
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