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समत्वयोग का आधार-शान्त रस तथा भावनाएँ कर्मचारी स्वयं चकित थे कि वह इतनी आजादी शेर को क्यों दे रहा है ? परन्तु हेनरी के मैत्रीभाव ने शेर को अपना मित्र बना लिया। वह हर समय उसके साथ ही रहने लगा। किसी दूसरे प्राणी को भी वह हानि नहीं पहुँचाता था।
टर्की-निवासी समीरा नाम की एक ३० वर्षीया नर्तकी भारी भरकम साँपों को लेकर नाचती । उसने पाकिस्तान जाकर ५० किलो वजन का एक सर्प खरीदा। वह उसको अपने हाथों में लेकर प्यार करती, पुचकारती, फिर कंधे पर डाल कर नृत्य करती । साँप उसके प्रेम से इतना आकर्षित हो गया कि वह उसे काटता नही था ।
एच.ए. जेजने अपनी पुस्तक 'विजडम आफ एनिमल्स' में एक पालतू बिल्ली और तोते की दोस्ती का उल्लेख किया है। सामान्यतः बिल्ली तोते को देखते ही उस पर झपटती है लेकिन ये दोनों परस्पर प्रेम करते थे। बिल्ली तोते को अपने बच्चे की तरह खिलाती थी । एक दिन मालकिन कोई चीज पकाने को रसोईघर के चूल्हे पर रखकर ऊपर वाले कमरे में चली गई । पीछे से सहसा तोता चूल्हे पर चढ़ाए गए बर्तन में गिर पड़ा और छटपटाने लगा। बिल्ली तुरन्त ऊपर बाले कमरे में जाकर मालकिन के समक्ष कातर भाव से व्याकुलता प्रकट करने लगी। मालकिन नीचे आई । चूल्हे पर रखे बर्तन में गिरे हुए तोते को देख बाहर निकाला ।
अगर बिल्ली ने उस समय मालकिन को न बुलाया होता तो तोते के प्राण निकल गए होते ।
एक कवि ने कहा है -
मैत्रीभाव- पवित्र झरणुं मुज हैयामां वह्या करे;
शुंभ थाओ आ सकल विश्वनुं, एवी भावना नित्य रहे. मैत्री-भावना का प्रकाश जब हृदयमन्दिर में जगमगा उठता है तो फिर वहाँ वैर, द्वेष, अहंकार, क्रोध, ईर्ष्या आदि का अन्धकार टिक नहीं सकता । सर्प और नकुल, गाय और बाघ, चूहा और बिल्ली मैत्रीभावना की छाया में अपने जन्मजात वैर--भाव को भूल जाते हैं । ऐसा करुणापूर्ण मधुर प्रभाव मैत्री-भाव का है।
विश्वविख्यात कवि 'राबर्ट लुई स्टीवेन्सन' का जीवन एक दिन घृणा, विद्वेष, चिड़चिड़ापन, उतावली, अधैर्य, अविश्वास आदि दुर्गुणों से भरा था । एक
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