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________________ प्रधान रचनाएँ, स्तुति और जयमाला साहित्य, उपेदशात्मक साहित्य, चित्रकाव्य, ज्योतिष के छंद, तथा काव्यानुवाद। इन उपविभागों के अन्तर्गत उनकी समस्त कृतियों को वर्गीकृत किया गया है तथा उनकी सविस्तार चर्चा की गयी है। चतुर्थ अध्याय में रस निरूपण का संक्षिप्त विवेचन करने के पश्चात् भैया भगवतीदास जी के काव्य के भाव-पक्ष का अवलोकन किया गया है। जैन धर्म में भक्ति की सम्भावना दिखाकर, उनके काव्य में भक्ति का स्वरूप- दास्य भक्ति, दाम्पत्य भक्ति एवं शान्तिभक्ति अथवा शान्त रस उपविभागों के अन्तर्गत प्रकट किया गया है तथा उनके काव्य में शान्त रस का रस-राजत्व दिखाया गया पंचम अध्याय में भैया भगवतीदास जी के काव्य के कला-पक्ष पर विचार किया गया है। इस अध्याय को पाँच उपविभागों में विभक्त किया गया हैअलंकार योजना, छंद योजना, भाषा, मुहावरे और लोकोक्तियां तथा चमत्कारिक शैलियां। षष्ठ अध्याय में जैन धर्म के विभिन्न सिद्धान्तों का दार्शनिक विवेचन प्रस्तुत करके उसके परिप्रेक्ष्य में भैया भगवतीदास जी के काव्य का मूल्यांकन किया गया है। यह अध्याय आठ उपविभागों में विभक्त है- सृष्टि कर्तृत्व विचार, लोकरचना, ईश्वरत्व मीमांसा, गुण स्थान, कर्म सिद्धान्त, सप्तभंगी, सम्यक्त्व और मिथ्यात्व तथा उपादान-निमित्त विचार। __सप्तम अध्याय में भगवतीदास के काव्य का सांगोपांग अवलोकन करने के पश्चात् उसका मूल्यांकन किया गया है तथा धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक एवं साहित्यिक क्षेत्र में उसके प्रदेय का महत्व अंकित किया गया है। ग्रंथ के अंत में परिशिष्ट भाग है। इसमें ग्रंथ में व्यवहृत जैनधर्म की पारिभाषिक शब्दावली तथा संदर्भ-ग्रंथ-सूची दी गई है। प्रस्तुत ग्रंथ तैयार करने में जिन विद्वानों के ग्रंथों से मैंने उपयोगी सामग्री प्राप्त की है तथा वे किसी भी रूप में सहयोगी बने है उन सबके प्रति आभार प्रकट करना मैं अपना पुनीत कर्त्तव्य समझती हूँ। इन ग्रंथों का उल्लेख परिशिष्ट के अन्तर्गत संदर्भ-ग्रंथ-सूची में किया गया है। इनमें से स्व० डॉ० प्रेमसागर जैन के प्रति मैं विशेष आभारी हूँ जिनकी पुस्तक 'हिन्दी जैन भक्ति काव्य और कवि' तथा 'जैन भक्ति काव्य की पृष्ठभूमि' से मुझे विशेष सहायता प्राप्त हुई है। डॉ० महेन्द्र सागर प्रचंडिया, डॉ० कुन्दनलाल जैन तथा डॉ० रमेशचन्द्र जैन, (xiv) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002541
Book TitleBhaiya Bhagavatidas aur Unka Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUsha Jain
PublisherAkhil Bharatiya Sahitya Kala Manch
Publication Year2006
Total Pages252
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size10 MB
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