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केशवदास, कविप्रिया, 511
भैया भगवतीदास, शतअष्टोत्तरी, छं0 सं0 48
भैया भगवतीदास, बाईसपरीसहन के कवित्त, छं0 सं0 19 भैया भगवतीदास, पंचेन्द्रिय संवाद, छं0 सं0 81 वही, छं0 सं0 44
भैया भगवतीदास, ईश्वर निर्णयपचीसी, छं0 सं0 6 भैया भगवतीदास, जिनगुणमाला, छं0 सं0 13,14 भैया भगवतीदास, पुण्यचीसिका, छं0 सं0 17
भैया भगवतीदास, ब्रह्माब्रह्म निर्णय चतुर्दशी, छं0 सं0 9 भैया भगवतीदास, गुणमंजरी, छं0 सं0 2,3
भैया भगवतीदास, दृष्टान्त पचीसी, छं0 सं0 20
भैया भगवतीदास, बाईस परीसहन के कवित्त, छं0 सं0 3 भैया भगवतीदास, दृष्टान्त पचीसी, छं0 सं0 4 भैया भगवतीदास, परमात्म छत्तीसी, छं० सं० 27 भैया भगवतीदास, फुटकर विषय, छं० सं० 26 शतअष्टोत्तरी, छं0 सं0 103
भैया भगवतीदास, शतअष्टोत्तरी, छं0 सं0 74
नेमिचन्द्र शास्त्री, हिन्दी जैन साहित्य परिशीलन, भाग 2, पृ० सं० 163 रामबहोरी शुक्ल, काव्य-प्रदीप, पृ0 सं0 266
मैं न पढ्यों पिंगल न देख्यो छंद कोश कोऊ, नाममाला नाम को पढ़ी नहीं विचारके ।
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भैया भगवतीदास, शत अष्टोत्तरी, छं0 सं0 107 जगन्नाथ प्रसाद भानुकवि, छंद प्रभाकर, पृ0 सं0 48 भैया भगवतीदास, अष्टकर्म की चौपाई, छं0 सं0 2 भैया भगवतीदास, कर्ता अकर्तापचीसी, छं0 सं0 16 25. भैया भगवतीदास, ईश्वर निर्णयपचीसी, छं0 सं0 11
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(143)
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संदर्भ एवं टिप्पणियाँ
'काव्य शोभाकरान् धर्मान् अलंकरान् प्रचक्षते । ' आचार्य दण्डी, काव्यादर्श, 2 ( 1 )
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