________________
सामान्य बोलचाल के शब्द
उथल पुथल, टेव, टोटा, नगीच, नियारी, नीकी, पतियारी, पिछोरी, पोखिये, बकवाद, बकिबो, बापुरो, बांझ, मूंडी, लल्लोपत्तो, होंस, हंकारि । विदेशी शब्द
अतः
भैया भगवतीदास ने तत्कालीन जन-प्रचलित भाषा को अपनाया है। उनकी भाषा में कुछ विदेशी शब्द अपने मूल रूप में ही प्रयुक्त हुए हैं और कुछ विकृत रूप में। यहाँ ऐसे ही शब्दों की पृथक-पृथक सूची दी जा रही है
अरबी भाषा के शब्द
मूल रूप में प्रयुक्त - इलाज, ऐन, ऐब, महल्ला, मुद्दत, सिलह, विकारयुक्त-अदल < अद्ल, उमर < उम्र, कूबत < कूवत, ख्याल < ख्याल, फैल < फेल, साहत - सायत, साहिब साहब, हजूर < हुजूर,
हुकुम < हुक्म ।
फारसी भाषा के शब्द
मूल रूप में प्रयुक्त- खुशामदी, गुनाह, गुमान, जहान, दमामा, दरम्यान, दाम, दिल, निशानी, पाठ, मीर, यार, सरदार, सिपहसालार ।
विकारयुक्त - अरदास - अर्जदाश्त, आतिस < आतिश चशम< चश्म, जसूस < जासूस, जुदे < जुदा, तमासगीर < तमाशबीन, दोजक < दोज़ख, निवाज < नवाज़, परवाह < परवा, पातशाह < बादशाह, फिरस्तों < फरिश्तों, महिमान < मेहमान, मोरचे < मोरच:, हुशियार < होशियार । अरबी फारसी में कुछ शब्द ऐसे हैं जिनको हम न विकृत कह सकते हैं न पूर्णत: शुद्ध। उस समय देवनागरी लिपि में अरबी फारसी भाषा की कुछ ध्वनियों के लिये कोई संकेत चिह्न ही नहीं था, कालान्तर में इन्हें देवनागरी वर्णों के नीचे बिन्दु लगाकर संकेतित किया गया।
तुर्की शब्द
कुमक ध्वनि परिवर्तन
तत्सम शब्दावली से तद्भव शब्दों के निर्माण तथा लोकव्यवहार की शब्दावली में अनेक स्थानों पर ध्वनि परिवर्तन दृष्टिगत होता है। यहाँ भैया भगवती दास की भाषा में ध्वनि परिवर्तन की सामान्य प्रवृत्तियों पर संक्षेप में विचार किया जा रहा है
Jain Education International
(132)
>
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org