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विषयानुक्रमणिका
प्रथम परिच्छेद : भारतीय परम्परा में ध्यान
ध्यान की पद्धति का मूल स्रोत एवम् विकास १-५ विदकालीन ध्यान परम्परा ५, उपनिषदों में ध्यान ६-६, रामायण एवं महाभारत में ध्यान - ११, श्रीमद् भगवद् गीता में ध्यान ११-१५, स्मृति ग्रन्थों में ध्यान १५-१७, पुराणों में ध्यान १७ - २१, योगवाशिष्ठ में ध्यान २१-२२, हठयोग २२ - २४, नाश्रयोग २५-२८, शैवागम एवं ध्यान २८-३०, पातञ्जल योग दर्शन में ध्यान ३०-३३, अद्वैत वेदान्त में ध्यान ३३-३५, बौद्ध धर्म में ध्यान ३५-३७ ।
द्वितीय परिच्छेद : ध्यान का प्ररूपक जैन साहित्य
मूलाचार ३६, भगवती आराधना ३६-४०, स्थानाङ्ग सूत्र ४०, औपपातिक सूत्र ४०, ध्यान शतक ४० - ४१, तत्त्वार्थ सूत्र ४१-४२, मोक्षपाहुड़ ४२, समाधि तन्त्र ४२, इष्टोपदेश ४३ पंचास्तिकाय ४३, समयसार ४३, परमात्म प्रकाश ४३-४४, योगसार ४४, आत्मानुशासन ४४, तत्त्वानुशासन - ध्यान शास्त्र ४५, योगसार प्राभृत ४५, हरिभद्र का योग विषयक साहित्य ४५ - ४६, योगबिन्दु ४६-४७, योगदृष्टि समुच्चय ४७, योगशतक ४७-४८, योगविशिका ४८, षोडशक ४८–४६, ज्ञानसार ४६, पाहुडदोहा ४६, ज्ञानार्णव ४६ - ५० अध्यात्म रहस्य ५०, योगशास्त्र ५०, अध्यात्म सार ५१, योगप्रदीप ५१, योगसार ५१, यशोविजय कृत ग्रन्थ ५१-५२, योगसार बत्तीसी ५२, ध्यान दीपिका ५२, ध्यान विचार ५२, अध्यात्म तत्त्वालोकः ५२, आदिपुराण ५२ - ५३. हरिवंशपुराण ५३ ।
तृतीय परिच्छेद : जैन परम्परा में ध्यान
ध्यान का महत्त्व ५४-५५, ध्यान का अर्थ ५५-५८, ध्यान का पर्याय ५८, समाधि ५८- ६०, योग ६०-६१, ध्यान के अंग ६१. ध्याता ६१, ध्येय ६१-६२, ध्यान ६२, ध्यान की सामग्री ६२-६३, परीषहों का ध्यान ६३, परीषहों के भेद ६४-७१, कषायों का त्यागी ७१ - ७२, व्रत धारण ७२-७३, अहिंसा महाग्रत ७३-७४,