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________________ परिशिष्ट-२० [ २४७ ३०३५, ३०३६ पकप्प (निशीथ) (गा. ३२०, १५६८, २३१४, २३१५, २३२७) पच्चक्खाण (नवां पूर्व) (गा. ४३५) पण्णत्ति (भगवती) (गा. ४६५६) परिकम्म (दृष्टिवाद का भेद) (गा. १८२७) पाहुड (योनिप्राभृत) (गा. ६४६, १७३६) पुवगत (दृष्टिवाद का भेद) (गा. १८२७, १८२६) भंभी (रसायनशास्त्र) (गा. ६५२) मगधसेणा (मगधसेना) (गा. २३२०) मलयवती (मलयवती) (गा. २३२०) महकप्पसुय (महाकल्पश्रुत) (गा. २११८, ४६५६) महल्लीविमाणपविभत्ति (महद्विमानप्रविभक्ति) (गा. ४६५८) माढर (नीतिशास्त्र) (गा. ६५२) मासुरुक्ख (मासुरुक्ष) (गा. ६५२) वग्गचूली (वर्गचूलिका) (गा. ४६५६) वरुणोववाय (वरुणोपपात) (गा. ४६६०) ववहार (व्यवहार) (गा. ४४३२, ४६५५) | ववहारनिञ्जत्ति (व्यवहारनियुक्ति) (गा. ४४३४) वसुदेवहिंडी (वसुदेवहिंडी) (गा. २३२० टी. प. ६) वियाहपण्णत्ति (व्याख्याप्रज्ञप्ति) (गा. २१२१) विवाहचूलिया (व्याख्याचूलिका) (गा. ४६५६) वीयाह (व्याख्याप्रज्ञप्ति) (गा. ४६५६) वेलंधरोववाय (वेलंधरोपपात) (गा. ४६६०) वेसमणुववाय (वैश्रमणोपपात) (गा. ४६६०) समुट्ठाणसुय (समुत्थानश्रुत) (गा. ४६६३) सामाइय (सामायिक) (गा. १८२४) सुत्त (दृष्टिवाद का एक भेद) (गा. १८२७) सूयगड (सूत्रकृतांग) (गा. २८६६, ४६५५) अया (बकरी) अस्स (घोड़ा) अहि (सांप) आस (अश्व) इभ (हाथी) एलग (भेड़) कमढ (कच्छप) कवोय (कबूतर) काग (काक) किमि (कृमि) कुक्कुड (मुर्गा) कुक्कुडि (मुर्गी) कोइल (कोकिल) खर (गधा) गद्दभ (गधा) गरुल (गरुड) गाव (गाय) गावी (गाय) गो (गाय) गोण (बैल) गोणस (सर्प की एक जाति) गोणी (गाय) घरसउणि (कोयल) घोडग (घोड़ा) छगल (बकरा) छगलग (बकरा) जंबुग (सियार) जड्ड (हाथी) जाहग (साही) तिमि (मत्स्य विशेष) तुरंग (घोड़ा) ददुर (मेंढक) दीहपट्ठ (सांप) पारावय (कबूतर) पिवीलिया (चींटी) बइल्ल (बैल) भल्ल (भालू) मंडलिडक्क (सर्प विशेष) (गा. १६१३) (गा. ६५६) (गा. १०१४) (गा. ४५२) (गा. ६४) (गा. ७६४) (गा. ६६२) (गा. २६२४) (गा. ६४) (गा. ३७६५) (गा. ६०१) (गा. ३६८४) (गा. ३००८) (गा. ३२६) (गा. ३२७) (गा. ४६६२) (गा. १५२६) (गा. ४४८) (गा. १५६) (गा. १७५१) (गा. ६५) (गा ५८०) (गा. ७७०) (गा. १८२४) (गा. ७८४) (गा. २४५२) (गा. १३८६) (गा. ८१६) (गा. ४१०२) (गा. १३७०) (गा. ३५५७) (गा. १०) (गा. २४२६) (गा. २८६४) (गा. ४४२१) (गा. ८८५) (गा. ४३८२) (गा. २४४७) चक्रवर्ती भरह (भरत) (गा. २७०१) तिर्यञ्च अच्छ.(रीछ) अय (बकरा) (गा. ४३८२) (गा. १६११) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002531
Book TitleAgam 36 Chhed 03 Vyavahara Sutra Bhashya
Original Sutra AuthorSanghdas Gani
AuthorKusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages860
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_vyavahara
File Size14 MB
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