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परिशिष्ट-११
निक्षिप्त शब्द 'निक्षेप' व्याख्या की एक विशिष्ट पद्धति है। भाषाविज्ञान के क्षेत्र में जैनाचार्यों की यह एक विशिष्ट देन है। प्राकृत में एक ही शब्द के अनेक संस्कृत रूपान्तरण संभव हैं। निक्षेप पद्धति द्वारा उस शब्द के सभी संभावित अर्थों का ज्ञान कराकर उस शब्द के प्रसंगोपात्त अर्थ का ज्ञान कराया जाता है। निक्षेप भाषाविज्ञान के अन्तर्गत अर्थविकास-विज्ञान का महत्त्वपूर्ण अंग है।
प्रस्तुत ग्रंथ में भाष्यकार ने 'परिहार', 'साधर्मिक', 'स्थान' आदि शब्दों की निक्षेप के आधार पर विस्तृत जानकारी प्रस्तुत की है।
२०६७
परिहार पलिच्छद
अट्ट अभिग्गह इच्छा आणा उंछ
२१० १४०८
२६७० १८८, १६४
६८६, ३८५५
१३६२ ३८८६ ३८५२
भत्ति
भिक्षु
१६६
उवग्गह
गण
मास ववहार ववहारी विहार साधम्मिय
१३६५ ६२६
१३
छलणा
६६५
६८०
६८६
दुग परिजुण्ण
२०६६
स्थान
२१३
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