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________________ व्यवहार भाष्य : एक अनुशीलन भरा विषयानुक्रम १. आगमों का वर्गीकरण २. छेदसूत्रों का महत्त्व ३. छेदसूत्रों का कर्तृत्व ४. छेदसूत्रों का नामकरण ५. छेदसूत्रों की संख्या ६. छेदसूत्र किस अनुयोग में? ७. साध्वियों को छेदसूत्र की वाचना ८ बृहत्कल्प और व्यवहार में भेद-अभेद ६ नियुक्तिकार १०. नियुक्ति एवं भाष्य का पृथक्करण ११. भाष्य १२. भाष्यकार १३. भाष्य का रचनाकाल १४. अन्य ग्रंथों पर प्रभाव १५. टीकाकार मलयगिरि १६. व्यवहार १७. आभवद् व्यवहार . क्षेत्र आभवद् व्यवहार • श्रुत आभवद् व्यवहार • सुख-दुःख आभवद् व्यवहार . मार्गोपसंपद् आभवद् व्यवहार . विनयोपसंपद् आभवद् व्यवहार १८ प्रायश्चित्त व्यवहार २१. आज्ञा व्यवहार २२. धारणा व्यवहार २३. जीत व्यवहार . व्यवहार पंचक का प्रयोग . अन्य धर्मों से तुलना २४. व्यवहारी . व्यवहारी की योग्यता २५. आगम व्यवहारी २६. श्रुत व्यवहारी २७. व्यवहर्त्तव्य २८ प्रायश्चित्त • प्रायश्चित्ताह • प्रायश्चित्तवाहक . प्रायश्चित्तदान में अनेकान्त २६. आलोचना . आलोचना के लाभ . आलोचनाह • आलोचक के गुण . आलोचना का क्रम . आलोचना करने की विधि . आलोचना के दोष . आलोचना का काल . आलोचना का स्थान एवं दिशा ३०. चित्त की अवस्थाएं . क्षिप्तचित्त . क्षिप्तचित्तता : निवारण के उपाय • दृप्तचित्त . उन्मत्तचित्त ३१. मनोरचना में क्षेत्र का प्रभाव ३२. भावधारा और आराधना . सचित्त प्रायश्चित्त • अचित्त प्रायश्चित्त . क्षेत्र एवं काल विषयक प्रायश्चित्त . भाव विषयक प्रायश्चित्त १६. आगम व्यवहार २०. श्रुत व्यवहार Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002531
Book TitleAgam 36 Chhed 03 Vyavahara Sutra Bhashya
Original Sutra AuthorSanghdas Gani
AuthorKusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1996
Total Pages860
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_vyavahara
File Size14 MB
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