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२] सयम्भुकिउ पउमचरिउ
[क०२, १-११,३,१-७
[२] जो परतिय-परदद्याहिंसणु मणे परिचिन्तेवि एम विहीसणु ॥ १ अहिमुहु वलिउँ दसाणण-रायों णं गुण-णिवहु दोस-सङ्घायहाँ ॥२ 'भो भो भू-भूसण भड-भञ्जण खलहु मि खल सज्जपहु मि सज्जण ॥ ३ : रावण किण्ण गणहि महु वयण' किण्ण णियहि णन्दन्त संयण ॥ ४
किं स-गेहु णिय-णयरु ण इच्छहि किं वजासणि सिरण पडिच्छहि ॥ ५ किं देवावहि सेण्णु दिसा-वलि किं उरें धरहि जलणं-जालावलि ॥ ६ किं आरोडहि राहव-केसरि किं जाणन्तु खाहि विस-मञ्जरि ॥७ किं गिरि-समु वड्डत्तणु खण्डहि. किं चारित्तु सीलु वउ छण्डहि ॥ ८ 10 किं विहडन्तउ कज्जु ण सन्धहि तइयऍ णरऍ आई किं वन्धहि ॥ ९
एक्कु असु अण्णेक्कु अमेङ्गलु जाणइ देन्तह पर गुणु केवलु ॥ १०
॥ घत्ता
॥
भणइ दसाणणु 'भाइ सुणि जाणमि पेक्खमि णरयहाँ सङ्कमि । णवर सरीरें वसन्ताइँ पश्चिन्दिय "जिणेवि ण सक्कमि ॥११
[३] सो' जण-मण-णयणाहिरावणो पर-णरवर-हरिणाईरावणो ॥ १ दुद्धर-धरणिधर-धरावणो भड-थड-कडमदण-करावणो ॥२ दुजण-जण-मण-जज्जरावणो करिवर-कुम्भथल-कप्परावणो ॥ ३
धणय-पुरन्दर-थरहरावणो सरणाइय-भय-परिहरावणो ॥४ 20 दाणविन्द-दुद्दम-डैरावणो अमर-मणोहरे-वहुअ-रावणो ॥५ दाणे महाहयणे तुरावणो णिसुणिउ जं जम्पन्तु रावणो ॥६
॥ धत्ता ॥ भणइ विहीसणु कुइय-मणु वयणु णिएवि दसाणण-केरउ ।' 'मरण-काले आसपणे थिएँ सबहों होई चित्तु विवरेरउ ॥ ७
2. 1 PS जो. 2 PS चलिउ. 3 P खलहं, 8 खलह, A खलहुं. 4 A सुयणइं. 5 A. omits this line. 6 PS जलणि. 7 PS तइए. 8 PS किं आउ. 9 P णिवंधहिं, S णिवंधहि, वंधहिं. 10 P S वि जसु. 11 P S वि मंगलु. 12 P A जाणइं देंतहं. 13 P S णवरि. 14 P S धरेवि.
3. 1 P 8 °णाइरावणो. 2 P SA °स्थल'. 3 P S °वहुपरावणो. 4 PS दाण महायणित्तु. रावणो. 5 PS सुणेवि. 6 P S आसण्ण किए. 7 PS चित्तु होइ.
[३] १ अभिरामः. २ एरावतः शकराजः (?). ३ पर्वतानां भृपतीनां वा उद्धारकः. ४ भयोत्पादकः. ५ (P.' s reading) मनोहरवधूनां प्रकर्षणानन्दकारकः । अमर-मनोहरवधूकानां रावणः प्रकंदकारकः.
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