SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 348
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २८८] सयम्भुकिउ पउमचरिउ [क०१०,१-८११,१-९, १२, 1- [१०] अहमिन्द-महासुहु अणुहवि वर-वइजयन्त-मग्गहों चवेंवि ॥१ पुणु गणहरु होसहि तासु तुहुँ तहिँ काले लहेसहि मोक्ख-सुहु ॥२ अम्भोयरहो वि जो आसि हरि णामेण जि जसु कम्पन्ति अरि ॥३ । सो भवि चारु जम्मन्तर भाविय-जिणधम्म-णिरन्तरइँ ॥४ पुव्वविदेहे पुक्खर-दीवें वरें होसइ सयवत्तज्झय-णयरें ॥ ५ भरहेसर-सण्णिहु चक्कहरु पुणु होसइ तित्थहों तित्थयरु ॥ ६ णाण-मरुड्डाविय-कम्म-रउ जाएसइ वर-णिव्वाण-पउ ।। ७ घत्ता ॥ वोलीणेहिँ सत्तेहिँ वरिसेंहिँ गमणु करेसमि हउ मि तहिँ । भरहेस-पमुह वहु-मुणिवर अविचल-सुहु णिवसन्ति जहि ॥८ [११] सु-णेवि भविस्स-काल-भव-वइयरु पुणु पुणु पणवेवि हलहरु मुणिवरु ॥१ अप्पउ सो सीएन्दु पणिन्दइ गरहइ मणु जिण-भवण. वन्दइ ॥ २ ॥तित्थङ्कर-तव-चरणुदेसइँ केवल-णाणुग्गमण-पएसइँ॥३ दिव्व-ज्झुणि-णिव्वाण-णिवेसइँ अञ्चेवि पुजेवि णवि असेस. ॥४ सुट्ट विसाल तुङ्ग सक्कन्दर खणे परिअञ्चेवि पञ्चवि मन्दर ॥ ५ पुणु गम्पिणु णन्दीसर-दीवहाँ थुइ करेवि तइलोक-पईवहों ॥६ कुरु-भूमिहें चिरु भाइ गवेसेवि भामण्डलु स-कन्तु संसिवि ॥ ७ 20 गउ राहव-गुण-गण-अणुराइउ सरहसु अच्चुअ-सग्गु पराइउ ॥ ८ || घत्ता ॥ तहिं सुह-भावण-संजुत्तर अमर-सहासेंहिँ परियरिउ । णिय-लीलऍ सीया सुरवइ . 'सइँ अच्छरहि रमन्तु थिउ ॥९ [१२] 23 लवणक्स वि वे वि वहु-दिवसेंहिँ णाणुप्पण्ण-णमिय वर-तियसेहिँ ॥१ कय-कम्म-क्खय णाणा-तरुवरें गय णिव्वाणों पावा-महिहरें ॥ २ वहु-कालें पुणु इन्दइ-मुणिवरु णिय-तणु तेओहामिय-दिणयरु ॥३ . देउल-वीढिआएँ वर-सत्तउ णाणुप्पाऍवि णिव्वुइ पत्तउ ॥४ 10. 1 A °भय. 2 PS पर. . 11. 1 PS A विवि. 2 मि, A omits पंच वि. ____12. 1 PS °तियसेसहिं. 2 P विढि, s विड्डि. [११] १ उत्तमस्थानानि. [१२] १ तिरस्कृत. २ उत्तमसम्बंधः (?). Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002525
Book TitlePaumchariu Part 3
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1960
Total Pages388
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy