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क० १३, २-८].
उत्तरकण्डं-णवडमो संधि [२८३ णाण-'मेसवाहणेण भयावणु जेण दट्ठ भव-चउगइ-काणणु ॥२ उत्तम-लेस-तिसूलें दुद्धरु - में किउ मोह-वइरि 'सय-सक्कर ॥ ३ दिढ-महन्त-वइरग्गहों पासिउ जेण णेह-णामु वि णिण्णासिउ ॥४ अण्णु वि एउ काइँ तउ जुत्तउ सिव-पउ एके जइ वि विढत्तउ ॥ ५ तो वि किं मइँ मुऍवि जोइज्जइ आवमि जेम हउ मि तह किजई' ॥ ६ ॥ पभणइ मुणिवरिन्दु 'सुणे सुन्दर दूरे पमायहि राउ पुरन्दरै ।।७।। जिणेंहिँ पगासिंउ मोक्खु 'विरायहाँ कम्म-वन्धु दिनु होइ स-रायहाँ' ॥८
॥ घत्ता ॥ इय-वयणेहिँ विमल-मणेण अञ्जलि-उड-जुऍहिँ । सीएन्हें राम-मुणिन्दु णमिउँ स य म्भु ऍ हिँ ॥
इय-पोमचरिय-सेसे तिहुअण-सयम्भु-रइए इय एत्थ महाकव्वे रामायणस्स सेसे
सयम्भुएवस्स कह वि उव्वरिए । वल-णाणुप्पत्ति-पव्वमिणं ॥ वन्दइ-आसिय-सयम्भु-तणय-कए । एसो सग्गो णवासीमो ॥
[९०. णवइमो संधि] तिहुअण-सयम्भु-धवलस्स को गुणे वण्णिउं 'जए तरइ । वालेणं वि जेण सयम्भु-कव्व-भारो समुव्बूढो ॥
पुर्णरवि सुरवइ आहासइ 'जो तव-सञ्जम-णियम-जुउ । परमेसर कहें सङ्खवेण दसरह-राण केत्थु हुउँ ॥ध्रुवकं ॥
13. 1 P°3. 2 PA हउं, 3 हउ मि जेम. 3 P°s corrected as र, S 'रु. 4 After this P marginally and s read the following passage : मोक्खु होइ भवसुहह विरत्तह । सुपर( S परम )विवेयणाणु चिंतंतहं ॥ सव्वसंगपरिचाउ करंतहं । सिवपउ होइ अप्पु झार्यतह ॥ रयणत्तउ णिम्मलु धारंतई । सेसकसायरायणिहणंतहं (s सेस भावणियंवहिजाणंतहं). After this P further reads : बज्झब्भंतरसुद्धिकरंतहं । धम्मसुक्कज्झाणइं झायंतहं । संवरपुवकम्मणिहणंतह । सिवसुहु होइ एम णिवच्छ...5 P A °उं. ___ 1. 1 PS गुणो. 2 P S वोलीण. 3 P°उं. 4 P S भउ.
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[१३] १ अग्निना.. २ शुक्ललश्यात्रिशूलेन. ३ शतखण्डः. ४ ' वैराग्यात्. [१] १ जगति.
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