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२८२] सयम्भुकिउ पउमचरिउ सद्द - परम्पराएँ मम्भीसिय 'लइ वट्टइ एत्थ उद्धारमि विणि वि जण सहसा सोलहम एवं भणेवि लेई किर जावहिँ जलणें तुप्पु जेम तिह ताविय सव्वोवायहिं भग्गाणन्दे अह जहिँ जेण जेव पावेव तं समत्थु को विणिवारेवऍ
पुणु वहु- दुक्खाणल-सन्तत्ता
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'उवसु दयावर' किं पि जेंविण पावहुँ ह
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ते विपत्तु 'जइ करहों' वयणु 1" जं परमुत्तमु तिहुअणें पसिद्धु जं कम्म महणु कलाण-तत्तु जं कहि परम - तित्थङ्करेहिँ जं सुन्दरु कालें वोहि देइ इय-वयहिँ दूरुज्झिय भएहिँ 20 'सीया - हरि वि स सङ्क तेत्थु समसरणन्भन्तरें पइसरेवि
वोलहुँ लग्गु 'महु होहि . तिह करें परिछिन्दमि (?)
[क० ११, २- ११, १२, १–९, १३,
'एहु एहु' आलाव पभासिय ॥ २ दुग्गइ-दुत्तर - ते डिणि तारमि ॥ ३ सग्गु पराणमि अच्चुअ- णाम' ॥ ४ लोणिर्ड जेम विलेवि गय तावहिं ॥ ५ अइ-दुगेज्झ दपण छाय व थिय ॥ ६ केम वि लेवि ण सक्किय इन्हें ॥ ७ सुहु व दुहु व तिहुअणें भुञ्जेव ॥ ८ कासु सत्तिरिरक्ख करेवऍ ॥ ९ वे वि चवन्ति एव वेवन्ता ॥ १०
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॥ घन्ता ॥
कहें गिव्वाण-इ | भीसण रय- गई' ॥ ११
[१२] तो लेहु तुरिउ सम्मत्त रयणु ॥ १ अइ-दुलहु पुण्ण-पवितु सुद्धु ॥ २ दुणेउ अभव्वहँ भव-भयन्तु ॥ ३ परिपुजिउ सुर-र-विसहरेहिं ॥ ४ सासय-सिव थाणु पहाणु णेइ' ॥ ५ सम्मत्त विहि मं पडिवण्णु तेहिं ॥ ६ वलएउ स - केवल - णाणु जेत् ॥ ७ भत्ति पुणु पुणु वन्दण करेवि ॥ ८
॥ घता ॥
परमेसर-सरणु ।
जेम जंरा-मरणु ॥ ९
[१३]
सूरहुँ सूरु गुणड्डु गुणडुहुँ ॥ १
तुहुँ पर एक वियहु वियहुँ
2 PA उं. 34 उं. 4Ps लेवि. से वि विणि.. 8PS, A इ. 9A रि. 12. 1 Ps A हु. 2PS जाइजरा.. २ नदी. [१२] १ विनाशः.
5 s उं. 6 Ps व. 7Ps को दिवाण,
२ अङ्गीकृतम्. ३ सीतेन्द्रः.
४ निन्दापरायणः.
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