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२७४] सयम्भुकिउ पउमचरिउ । जे वेढेंवि महुर पलम्ब-भुउ हउ लवण-महण्णउ महुहें सुउ ॥ ४ जसु केवलि-पासें णिरन्तरइँ आयण्णेवि तुम्ह-भवन्सर. ॥५ परियाणेवि चउ-गइ-भवण-डरु सहसा वइराउ जाउ पवरु ॥६
जो पइँ पभणिउ “अवसरु मुवि वोहिजहि पइँ आयरु कुणेवि" ॥ ७ 5 सो हउँ किय-घोर-तवच्चरणु माहिन्दे जाउ सुरु दिव्व-तणु ॥ ८
अवहिएँ परियाणेवि हरि-मरणु अण्णु वि उद्धाइउ वइरिगणु ॥९ इह आयउ अक्खहि किं करमि तउ सव्व-पयारें उवगरमि' ॥ १० तें वयणु सुणेप्पिणु चवइ वलु 'हउँ वोहिउ भग्गु अराइ-बलु ॥ ११
अप्पउ दरिसिउ रिद्धीऍ सहुँ ण पहुच्चइ एण जे काइँ महु ॥ १२ " इय वयणेहिँ ते परितुट्ठ मणे गय सग्गहाँ सुरवर वे वि खणे ॥ १३
॥ घत्ता ॥ पुणु परिहरेंवि सोउँ सोवें अट्ठमु वासुएउ वलएवें । णिय-खन्धों महियले ओयारिउ सरऊ-सरिहें तीरें संकारिउ ॥ १४
[१०] 15 तं डहॅवि सहत्थे महुमहणु पुणु पभणिउ रामें सत्तुहणु ॥१ 'लइ वच्छ सहोयर रज्जु करें रहु-कुल-सिरि-णव-वहु धरहि करें ॥२ हउँ सयलु परिग्गहु परिहरवि तवु लेमि तवोवणु पइसरवि' ॥३ तं सुणेवि चवइ महुराहिवइ 'जा तुम्हहँ गइ सा महु वि गइ' ॥४
परियाणेवि णिच्छउ तहाँ तणउ अवलोइउ सुउ लवणहों तणउँ ॥५ २० तहों सिरे विणिवद्धु पटु पवरु सहसत्ति समप्पिउ रज-भरु ॥६
गम्पिणु विणिहय-चउगइ-णिसिहें सुव्वयहाँ पासें चारण-रिसिहें ॥ ७ परिसेसेवि मोहु गुणभइउ उत्पण्ण-वोहि वलु पव्वइउ ॥८.
॥ घत्ता ॥ तो गिव्वाणेहिँ दुन्दुहि ताडिय कुसुम-विढि गयण-यलहों पाडिय । 25 सुरहि-गन्ध-मारुउ खणे आ(?)इउ तूर-महारउ जगें ण माइउ ॥९ .
[११] - मेल्लेंवि राय-लच्छि वियसिय-मुहु णिय-सन्ताण ठवेंवि णिय-तणुरुहु ॥१
9. 1 1 °उं. 2 P सायरु, A आयर. 3 PS माहिंदु. 4 A सो. 10. 1 Ps क. PS सुणिवि, A णिसुणिवि. 3 Pउं. 4 PS "हि°.
[९] १ हतः. 201 १ गत्वा.
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