SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 324
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २६४ ] सयम्भुकिउ पउमचरिउ जो कु-मइऍ किउ अवराहु तुज्झु सन्भावें अग्गऍ का वि ण्डइ कवि मणहरु वीणा वज्जु वाइ कवि आलिङ्गइ णिग्भर-सणेह 5. कवि कुसुमइँ सीसें समुद्धरेवि कवि मुहु जोऍवि मलियङ्गवङ' 10 तो ऍह वत्तणिसुणेविणु रामु लक्खणु कुमारु जहिँ तहँ पइडु 'सव्वरें (?) विरामें' ससि-वयण- छाउ काकुत्थु पचिन्तइ रणे दुसज्झ 13 तें कर्जे ण वि आयउ वि गणइ सिरें चुम्वेंवि भणिउ 'सुन्दरच्छ कहें काइँ थियउ कमउ णाइँ' अवलोइड पुणु सलु वि सरीरु 20 अण्णा वि र वहु-विहर जिह किविण- लोऍ सिय- सम्पयड उ सोआउरु रहु-तणउ' तं भाउ णिएवि स - णेउरेंण 25 ' हा णाह आउ सइँ दासरहि C 8, 1 P° हैं, S°हि. 9. 1s संव 6 P. 7 A 3. 10. 1 P A. जिह तरुवरु छण मूलें तिह महिहें पडिउ णिच्चेयण । मरु-हार-णीर-चन्दण-जलै हिँ [क० ८, ३-१, ९, १–९, १०, १-३ सो सयलु वि एक्कसि खमहि मज्झु ' ॥ ३ कवि दइयों चल-लेहिं पडइ ॥ ४ कवि विविह-भेर गन्धव्वु गाइ ॥ ५ चुम्बइ कवोल सोमाल-देह ॥ ६ तोसावइ सिरें सेहरिकरेवि ॥ ७ उट्ठा किय-कर- साह-भङ्गु ॥ ८ 3 ॥ घत्ता ॥ 2 Jain Education International [८] १ अङ्गुल्यास्फोटनेन. [९] १ प्रभाते. २ राम्रः. [१०] १ अंसुप्रवाहैः आच्छादितमुखः. जुअहँ जाउ जाउ कियउ । सव्वउ गयउ णिरत्थिय ॥ ९ [९] सहसत्ति आउ ज णाय - णामु ॥ १ बहु-पियहँ मज्झें जिय-भाउ दिन | २ ॥ णिरु णिच्चलु सिरि-परिहरियै काउ ॥ ३ 'मंछुडु लच्छीहरु कुइउ मज्झ ॥ ४ वि काइँ वि अभुत्थाणु 'कुणई' ॥ ५ किं महु आलावु ण देहि वच्छ ॥ ६ परियाणिउँ चिण्हेंहिँ मुअउ भाइ ॥ ७ मुच्छाविउ खर्णे वलएव वीरु ॥ ८ ॥ धत्ता ॥ 2 PSA सि. s राम. 3 PS 3. हु कह कह वि स चेयणउ ॥ ९ [ १ ] बहु-वाह - पहिय दीणाणणउ ॥ १ धाहावि हरि - अन्तेउरेंण ॥ २ किं सीहासणहों ण ओयरहि ॥ ३ 3 ▲ I. 4 sचि, वि. 4 P करई, s करइ. २ रामः. For Private & Personal Use Only 5PA उं. www.jainelibrary.org
SR No.002525
Book TitlePaumchariu Part 3
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1960
Total Pages388
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy