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१५, १-९,१६,१-६]
उत्तरकण्ड-छायासीमो संधि [२५७
[१५] 'जय जय जिणवरिन्द धरणिन्द-णरिन्द-सुरिन्द-वन्दिया जय जय चन्द-खन्द-वर-विन्तर-वहु-विन्दाहिणन्दिया ॥१ जय जय वम्भ-सम्भु-मण-भञ्जण-भयरद्धय-विणासणा जय जय सयल-समग्ग-दुब्भेय-पयासिय-चारु-सासणा ॥ २ जय जय सुटु-पुट-दुईट्ठ-कम्म-दिढ-वन्ध-तोडणा जय जयं कोह-लोह-अण्णाण-माण-दुम-पन्ति-मोडणा ॥३ जय जय भव-जीव संसार-समुद्दहाँ तुरिउ तारणा जय जय हय-तिसल्ल जय जाइ-जरा-मरणइँ निवारणा ॥४ जय जय सयल-विमल-केवल-णाणुजल-दिव्व-लोयणा जय जय भव-भवन्तरावज्जिय-दुरिय-मलोह-चोयणा ॥५ जय जय तिजय-कमल-वय-दय-णय-णिरुवम-गुण-गणालया जय जय विसय-विगय जय जय दस-विह-धम्माणुवालया ॥६ 'तुहुँ सव्वण्हु सब्ब-णिरवेक्खु णिरञ्जणु णिक्कलो परो तुहुँ णिरवयवु सुहुमु परमप्पउ परमु लहु परंपरो ॥७ तुहुँ णिल्लेउ अ-गुरु परमाणुउ अक्खउ वीयरायओ तुहुँ गइ मइ जणेरु सस मायरि भायरि सुहि सहायओ' ॥८
॥घत्ता ॥ एवं विविह-थोत्तेहिँ थुर्णेवि [पुणु ]पुणु जिणवरु पुजेंवि अञ्चेवि । पवण-पुत्तु पल्लट्ठ णहें मन्दर-गिरि-सिहरइँ परिअञ्चेवि ॥९ 20
[१६] तहों हणवहाँ णयणाणन्दणासु जिण-वन्दण-अणुराइय-मणासु॥१ णिय-लीलऍ एन्तहाँ भरह-खेत्तु परिगलिउ दिवसु अत्थमिउ मित्तु ॥२ अणुरत्त सञ्झ णं वेस आय णं रक्खसि रत्तारत्त जाय ॥ ३ वहलन्धयार पुणु ढुक्क राइ मसि-खप्परु विहिउ समर्थ (१)णाइँ॥४ 25 तहिँ काले हणुउ तणु-पह-जियकु सुरदुन्दुहि-सेले स-सेण्णु थक्कु ॥ ५ जोअइ कसणुजलु जाव गयणु ससि-विरहिउ णिद्दीवउ व भवणु ॥ ६.
15. ! PS A °भु. 2 A वययणदय . 3 This Pada is missing in A. 4s लरहु, A रहुं. 52 सहायरु, S सहोयरु. . 16. 1 PS पत्तउ. 2 A.समच्छु. [१५] १ कार्तिकेय. २ र पातकसमूहः. ३ छेदकः. ४ लक्ष्मी. ५ मार्गः. [१६] १ रक्तस्य विषये अनुरक्ता । अथ रुधिरेणालिप्ता रक्ता. २ सुरदुंदुही-पर्वते. lion neपउ००३३
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